प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो दिन में राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ सुशासन और लोगों के लिए जीवन की आसानी सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार-मंथन सत्र आयोजित किए।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, पिछले दो दिन में, मुख्य सचिवों के सम्मेलन में भाग लिया। हमने नीति संबंधी व्यापक मुद्दों पर सार्थक विचार-विमर्श किया और बेहतर सेवा वितरण सुनिश्चित करने के साथ-साथ सभी नागरिकों के लिए सुशासन सुनिश्चित करने के तरीकों पर भी चर्चा की।
यह इस तरह का तीसरा सम्मेलन है, पहला जून 2022 में धर्मशाला में और दूसरा जनवरी 2023 में दिल्ली में आयोजित किया गया था।
पीएमओ के एक बयान के अनुसार, सहकारी संघवाद के सिद्धांत को क्रियान्वित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहभागी शासन और साझेदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्य सचिवों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाता है।
सम्मेलन में राज्यों के साथ साझेदारी में एकजुट कार्रवाई के लिए एक सामान्य विकास एजेंडा और ब्लूप्रिंट के विकास और कार्यान्वयन पर जोर दिया गया।
कल्याणकारी योजनाओं तक आसान पहुंच और सेवा वितरण में गुणवत्ता पर विशेष जोर देने के साथ, सम्मेलन में पांच उप-विषयों - भूमि और संपत्ति; बिजली; पेय जल; स्वास्थ्य; और स्कूली शिक्षा - पर चर्चा की गई। इनके अलावा, साइबर सुरक्षा: उभरती चुनौतियाँ; एआई पर परिप्रेक्ष्य, जमीनी स्तर की कहानियां: आकांक्षी ब्लॉक और जिला कार्यक्रम; राज्यों की भूमिका: योजनाओं और स्वायत्त संस्थाओं को युक्तिसंगत बनाना और पूंजीगत व्यय बढ़ाना; शासन में एआई: चुनौतियाँ और अवसर जैसे विषयों पर भी चर्चा का गई।
इनके अलावा, नशा मुक्ति और पुनर्वास पर भी केंद्रित विचार-विमर्श किया जाएगा; अमृत सरोवर; पर्यटन संवर्धन, ब्रांडिंग और राज्यों की भूमिका; और पीएम विश्वकर्मा योजना एवं पीएम स्वनिधि पर भी केंद्रित चर्चा हुई। बयान में कहा गया है कि प्रत्येक विषय के तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सर्वोत्तम प्रथाओं को भी सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया ताकि राज्य एक राज्य में प्राप्त सफलता को दोहरा सकें या अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कुछ बदलाव के साथ उन्हें अपना सकें।
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Source : IANS