प्रसिद्ध विद्वान, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज परिवार के वंशज करण सिंह ने कहा, कश्मीरी पंडितों के लिए अपनी मातृभूमि में वापस लौटना संभव नहीं होगा।
उन्होंने आगे कहा है कि कई लोग मुझसे पूछते रहते हैं कि क्या कश्मीरी पंडित कश्मीर लौट सकते हैं? मुझे लगता है कि कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर वापस जाना संभव नहीं है, हालांकि लगातार सरकारों ने उन्हें वापस लाने की पूरी कोशिश की है।
सरकारों ने उनके लिए सुरक्षित क्षेत्र बनाए हैं, लेकिन वे कश्मीर वापस नहीं जा पा रहे हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो वापस चले जाते हैं लेकिन अन्य ऐसा नहीं कर पाते। सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए कई कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि वे अब कैसे जा सकते हैं।
करण सिंह ने यह टिप्पणी अवंती सोपोरी की पुस्तक एंशिएंट एंड लॉस्ट टेम्पल्स ऑफ कश्मीर का विमोचन करते हुए की।
सिंह ने कहा कि उन्होंने जीवन में जो कुछ भी सीखा है वह कश्मीरी पंडितों की वजह से ही सीखा है। मेरा पूरा ज्ञान कश्मीरी पंडितों से मिला है। मैं हमेशा उनका ऋणी रहूंगा। लेकिन यह देखकर मेरा दिल दु:खता है कि शिक्षित और प्रतिभाशाली समुदाय को किस दौर से गुजरना पड़ रहा है।
इसके अलावा करण सिंह ने कहा कि यह भी एक तथ्य है कि कश्मीर ने अपने पूरे इतिहास में कई त्रासदियां देखी हैं और 1989-90 में पंडितों का पलायन इस क्षेत्र के इतिहास में सातवीं ऐसी घटना थी।
जब डोगराओं ने घाटी पर शासन किया था उस अवधि का जिक्र करते हुए करण सिंह ने कहा, बौद्ध धर्म और फिर हिंदू धर्म कश्मीर का सार था; लेकिन अफगानों, तुर्कों और मुगलों ने वह सब कुछ नष्ट कर दिया जिसके लिए कश्मीर दुनिया भर में जाना जाता था। यहां तक कि प्राचीन काल में कश्मीर में एक महत्वपूर्ण बौद्ध सम्मेलन भी आयोजित किया गया था। सिर्फ हमारे समय में कश्मीरी पंडित घाटी में लौट सके थे।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों में लड़ने का जज्बा है और उन्होंने कभी हार नहीं मानी है। कश्मीरी पंडितों की भावना अटल है। आप जहां भी जाते हैं, अपने समुदाय का नाम करते हैं। आपने कभी हार नहीं मानी है और आपमें लड़ने की भावना भी है।
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Source : IANS