मदर्स अगेंस्ट वेपिंग सक्रिय और चिंतित माताओं का एक संयुक्त मोर्चा है जो युवाओं के बीच बढ़ते वेपिंग से निपटने के लिए काम करता है। उसने विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के बीच ई-सिगरेट और वेप्स जैसे नए युग के गेटवे उपकरणों के उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से विश्व स्वास्थ्य संगठन के आह्वान पर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
वेपिंग के बढ़ते ट्रेंड के खिलाफ डब्ल्यूएचओ की चेतावनी ई-सिगरेट और अन्य नए युग के गेटवे उत्पादों के वायरल प्रसार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक तात्कालिकता पर जोर देती है।
मदर्स अगेंस्ट वेपिंग ने दोहराया है कि धूम्रपान बंद करने में ई-सिगरेट के प्रभाव का समर्थन करने के लिए अपर्याप्त सबूत हैं और ये उपकरण बच्चों तथा युवाओं के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं। दिसंबर 2023 में डब्ल्यूएचओ ने इस बात पर जोर दिया कि तंबाकू की लत छुड़ाने में ई-सिगरेट का प्रदर्शन प्रभावी नहीं रहा है। उभरते सबूत इन नए युग के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से जुड़ी प्रतिकूल जनसंख्या स्वास्थ्य प्रभावों की ओर इशारा करते हैं।
नोएडा के फोर्टिस हेल्थकेयर में पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर के अतिरिक्त निदेशक डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा, “डब्ल्यूएचओ का यह कहना सही है कि ई-सिगरेट धूम्रपान बंद करने में प्रभावी नहीं है। वैज्ञानिक रूप से यह दावा करना कि ई-सिगरेट निकोटीन की लत को खत्म कर सकती है, सटीक नहीं है, क्योंकि इन उपकरणों में निकोटीन होता है। इसके अलावा, ई-सिगरेट के उपयोग से निकोटीन और अन्य हानिकारक रसायनों की उच्च खुराक मिलने का खतरा होता है, जिससे संभावित रूप से उपयोगकर्ताओं को अधिक नुकसान होता है। इसलिए, विशेष रूप से युवाओं के बीच, इसके उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी उपायों की तत्काल आवश्यकता है।”
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में धुआं रहित तंबाकू का उपयोग व्यापकत संख्या में हो रहा है, जो वैश्विक धुआं रहित तंबाकू यूजरों की आबादी का 77 प्रतिशत है। चिंताजनक बात यह है कि 13-15 वर्ष की आयु वर्ग में लगभग 1.1 करोड़ किशोर इसका उपयोग कर रहे हैं, जो वैश्विक आँकड़े का लगभग 30 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में विशेष रूप से युवा लोगों के बीच ई-सिगरेट और अन्य नए जमाने के उत्पादों के उपयोग में वृद्धि देखी जा रही है।
हैप्पिनेस स्टूडियो की संस्थापक और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी ने कहा, “युवाओं के बीच ई-सिगरेट के उपयोग में वृद्धि आश्चर्यजनक नहीं है, यह दोस्तों के दबाव और निर्माताओं द्वारा आक्रामक विज्ञापन सहित कई कारकों से प्रभावित है। वेपिंग या ई-सिगरेट से होने वाले स्पष्ट शारीरिक नुकसान के अलावा, मूड और चिंता विकार, आत्मघाती विचार और अवसादग्रस्त लक्षणों जैसे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव एक गंभीर चिंता है।
मदर्स अगेंस्ट वेपिंग ने फरवरी 2023 में प्रस्तुत अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण की ओर ध्यान आकर्षित किया है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों से वेपिंग निकोटीन और टीएचसी (टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल), मारिजुआना में मनोवैज्ञानिक घटक और खुद रिपोर्ट किए गए लक्षणों के बीच एक चिंताजनक संबंध का पता चला है।
ई-सिगरेट के दीर्घकालिक परिणाम अज्ञात हैं, लेकिन अध्ययनों ने पहले ही फेफड़ों पर गंभीर असर और उनके उपयोग से जुड़े प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव दिखाए हैं। प्रभावी नियंत्रण उपायों के बिना, इन नए युग के उपकरणों का व्यापक प्रसार एक वास्तविक जोखिम पैदा करता है, जो संभावित रूप से हमारी भावी पीढ़ी को स्थायी स्वास्थ्य नुकसान पहुँचाता है। गांधी मेडिकल कॉलेज में स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान की पूर्व प्रोफेसर डॉ. वरुणा पाठक ने कहा, उपयोगकर्ताओं में रासायनिक विषाक्तता पैदा करने से लेकर मातृ और भ्रूण के स्वास्थ्य को खतरे में डालने तक वेपिंग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अनगिनत खतरे पैदा करती है।
भारत ई-सिगरेट और इसी तरह के अन्य नए जमाने के गेटवे उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने में सबसे आगे रहा है। पीईसीए 2019 कानून ने ई-सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन सहित इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट उत्पादों के सभी पहलुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। कानूनन ये देश में अवैध हैं। मदर्स अगेंस्ट वेपिंग के अनुसार, भारत और अन्य देशों को मांग में कमी की रणनीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS