जून महीने में 15,000 से अधिक कंपनियों ने भारत में अपनी यूनिट सेटअप करने के लिए पंजीकरण कराया है। इसमें कई विदेशी कंपनियां भी शामिल हैं, जो कि बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्टर में उपयोग होने वाली मशीनें बनाती हैं। कॉरपोरेट मामले के मंत्रालय की ओर से संकलित किए गए डेटा से यह जानकारी मिली है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा हाईवे, पोर्ट और रेलवे प्रोजेक्ट में बड़ी मात्रा में निवेश के कारण बड़ी मशीनों की मांग देखने को मिल रही है। साथ ही बताया कि यह भारत के मेक-इन-इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को भी दिखाता है, जिसके कारण विदेशी कंपनियां भारत में अपने ऑपरेशन शुरू करना चाहती हैं।
यूके की कंपनी ऑगर टॉर्क यूरोप लिमिटेड, उन विदेशी कंपनियों में से एक है, जिन्होंने भारत में ऑपरेशन शुरू करने के लिए पंजीकरण कराया है, जो अर्थ ड्रिल और अटैचमेंट बनाती है और जर्मनी के किंशोफर ग्रुप का हिस्सा है जो ट्रक क्रेन और एक्सीवेटर के लिए अटैचमेंट बनाती है।
जापान की टोमो इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड भी इस लिस्ट में शामिल है, जो कि मशीनरी और केमिकल मैन्युफैक्चरिंग करती है।
एक अन्य जापानी कंपनी कावाड़ा इंडस्ट्रीज जो कि केटीआई कावाड़ा समूह का हिस्सा है, वह भी इस लिस्ट में शामिल है। यह कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और रखरखाव का काम करती है।
रूस की हैवी मशीनरी बनाने वाली कंपनी और यूएई के एनर्जी ग्रुप ने भी भारत में ऑपरेशन शुरू करने के लिए पंजीकरण कराया है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये कंपनियां भारत में नई टेक्नोलॉजी लेकर आएगी। इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काम कर रही भारतीय कंपनियों की पूरक बनेगी।
भारत सरकार की ओर से बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश के कारण स्टील और सीमेंट की मांग ऊपर जा रही है, जिससे निजी निवेश बढ़ रहा है और रोजगार के अधिक अवसर लोगों को मिल रहे हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 37.4 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया था, जो कि 2022-23 में 7.28 लाख करोड़ रुपये था।
फरवरी 2024 के अंतरिम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था। इससे देश के विकास को सहारा मिलेगा और वृद्धि दर में भी इजाफा होगा।
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Source : IANS