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मोदी, बिडेन ने की बात, दूरसंचार क्षेत्र में समझौते को सराहा, रक्षा, नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा में मांगी मदद 

मोदी, बिडेन ने की बात, दूरसंचार क्षेत्र में समझौते को सराहा, रक्षा, नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा में मांगी मदद 

Updated on: 09 Sep 2023, 12:35 AM

नई दिल्ली:

भारत और अमेरिका ने शुक्रवार को सुरक्षित और भरोसेमंद दूरसंचार, लचीली आपूर्ति श्रृंखला और वैश्विक डिजिटल समावेशन के दृष्टिकोण को साझा करते हुए भारत 6जी एलायंस और विक्रेताओं व ऑपरेटरों के बीच सार्वजनिक-निजी सहयोग को गहरा करने की दिशा में पहले कदम के रूप में एलायंस फॉर टेलीकम्युनिकेशंस इंडस्ट्री सॉल्यूशंस द्वारा नेक्स्ट जी समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच द्विपक्षीय चर्चा के बाद भारत और अमेरिका द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में लचीली वैश्विक अर्धचालक आपूर्ति श्रृंखला बनाने की दिशा में प्रयास पर फिर से जोर दिया गया।

इस संबंध में, दोनों नेताओं ने भारत में अपने अनुसंधान और विकास की उपस्थिति का विस्तार करने के लिए लगभग 300 मिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए माइक्रोचिप टेक्नोलॉजी, इंक की बहु-वर्षीय पहल और अगले पांच वर्षों में भारत में 400 मिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए एडवांस्ड माइक्रो डिवाइस की घोषणा का उल्लेख किया। इससे भारत में अनुसंधान, विकास और इंजीनियरिंग कार्यों काे विस्तार मिलेगा।

नेताओं ने 29 अगस्त को कांग्रेस की अधिसूचना प्रक्रिया पूरी होने और भारत में जीई एफ-414 जेट इंजन बनाने के लिए जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) के बीच एक वाणिज्यिक समझौते के लिए बातचीत शुरू होने का स्वागत किया, और सहयोगात्मक रूप से और तेजी से काम करने की सिफारिश की।

बाइडेन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के साथ-साथ भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल 1 के सफल प्रक्षेपण पर मोदी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी।

अंतरिक्ष सहयोग के सभी क्षेत्रों में नई सीमाओं तक पहुंचने के लिए एक रास्ता तय करने के बाद नेताओं ने मौजूदा भारत-अमेरिका नागरिक अंतरिक्ष संयुक्त कार्य समूह के तहत वाणिज्यिक अंतरिक्ष सहयोग के लिए एक कार्य समूह की स्थापना के प्रयासों का स्वागत किया।

बयान में कहा गया है, बाहरी अंतरिक्ष अन्वेषण में हमारी साझेदारी को गहरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित, इसरो और नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त प्रयास बढ़ाने के लिए तौर-तरीकों, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण पर चर्चा शुरू कर दी है और लगातार प्रयास कर रहे हैं। 2023 के अंत तक मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग के लिए एक रणनीतिक ढांचे को अंतिम रूप देने का लक्ष्‍य है।“

भारत और अमेरिका पृथ्वी और अंतरिक्ष संपत्तियों को क्षुद्रग्रहों और निकट-पृथ्वी वस्तुओं के प्रभाव से बचाने के लिए ग्रह रक्षा पर समन्वय बढ़ाने का भी इरादा रखते हैं, जिसमें लघु ग्रह केंद्र के माध्यम से क्षुद्रग्रह का पता लगाने और ट्रैकिंग में भारत की भागीदारी के लिए अमेरिकी समर्थन भी शामिल है।

नेताओं ने अमेरिकी कंपनियों, माइक्रोन, एलएएम रिसर्च और एप्लाइड मैटेरियल्स द्वारा जून 2023 में की गई घोषणाओं के चल रहे कार्यान्वयन पर संतोष जताया।

उन्होंने ओपन आरएएन और 5जी/6जी प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए दो संयुक्त कार्य बलों की स्थापना को भी स्वीकार किया।

एक प्रमुख भारतीय दूरसंचार ऑपरेटर में 5जी ओपन आरएएन पायलट फील्ड तैनाती से पहले यूएस ओपन आरएए निर्माता द्वारा शुरू किया जाएगा। इससे संबंधित समझौते पर मोदी और बाइडेन की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए।

दोनों नेताओं ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने में प्रौद्योगिकी की परिभाषित भूमिका की पुष्टि की और आपसी विश्वास के आधार पर खुली, सुलभ, सुरक्षित और लचीली प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र और मूल्य श्रृंखला बनाने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) पर भारत-अमेरिका पहल के माध्यम से चल रहे प्रयासों की सराहना की।

बयान में कहा गया है कि अमेरिका और भारत 2024 की शुरुआत में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सह-नेतृत्व में अगली वार्षिक आईसीईटी समीक्षा की दिशा में गति जारी रखने के लिए सितंबर में आईसीईटी की मध्यावधि समीक्षा करने का इरादा रखते हैं।

नेताओं ने उनके बीच सातवें और आखिरी बकाया विश्‍व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) विवाद के समाधान की सराहना की। यह जून में डब्ल्यूटीओ में छह बकाया द्विपक्षीय व्यापार विवादों के अभूतपूर्व समाधान के बाद हुआ है।

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