सीवोटर द्वारा किए गए एक विशेष राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में अधिकांश उत्तरदाताओं की राय है कि द्रमुक नेता और तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके घृणा फैलाने वाले भाषण दिए हैं।
सर्वेक्षण में 3,350 लोगों की राय ली गई।
युवा द्रमुक नेता, जो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे हैं, ने 2 सितंबर को दिए गए एक भाषण के दौरान सनातन धर्म की तुलना कई बीमारियों से की थी और इसके उन्मूलन का आह्वान किया था।
आधे से ज्यादा उत्तरदाताओं की राय है कि द्रमुक नेता की टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है।
खुद को विपक्षी गठबंधन का समर्थक बताने वाले करीब 44 फीसदी उत्तरदाता भी इस तर्क से सहमत हैं।
द्रमुक यूपीए का सदस्य रहा है और अब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष द्वारा गठित इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है।
इसके विपरीत, हर पांच उत्तरदाताओं में से तीन, जो खुद को सत्तारूढ़ एनडीए के समर्थक बताते हैं, ने कहा कि टिप्पणियां नफरत फैलाने वाले भाषण के दायरे में आती हैं। दिलचस्प बात यह है कि उत्तरदाताओं में 24 प्रतिशत यानी लगभग एक-चौथाई की इस मुद्दे पर कोई राय नहीं थी।
पिछले शनिवार को दिए अपने भाषण में उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मच्छर, मलेरिया, डेंगू और कोरोना से की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि जिस प्रकार उपरोक्त बीमारियों का सिर्फ विरोध करना पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें जड़ से ख़त्म करना ही एक मात्र उपाय है, उसी प्रकार सनातन धर्म को भी ख़त्म करने की आवश्यकता है।
उनकी टिप्पणियों की देश भर में व्यापक निंदा हुई है और कई लोगों ने जोर देकर कहा है कि स्टालिन जूनियर घृणास्पद भाषण में शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिया था कि नफरत फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत न होने पर भी स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की जाए।
इसने अपने आदेशों का पालन नहीं करने पर अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी थी। वरिष्ठ न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक समूह ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ को औपचारिक पत्र लिखकर उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।
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Source : IANS