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महायुति ने अंतरिम बजट को सराहा, एमवीए ने इसे खोखला बताया

महायुति ने अंतरिम बजट को सराहा, एमवीए ने इसे खोखला बताया

Updated on: 01 Feb 2024, 09:55 PM

मुंबई:

महाराष्‍ट्र में सत्तारूढ़ महायुति ने यहां गुरुवार को अंतरिम बजट - 2024-2025 को आम आदमी उन्मुख और आत्मनिर्भर और मजबूत भारत की नींव रखने वाला बताया, जबकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी ने इसे खोखले वादों से भरा बताया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अंतरिम बजट देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को महाशक्ति और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के करीब ले जाएगा।

शिंदे ने कहा, यह व्यापक है, आम लोगों, महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों, किसानों, श्रमिकों और अन्य सभी को न्याय देता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर ढांचे में बदलाव नहीं करना आम लोगों के लिए राहत है। पिछले दिनों शुरू की गई योजनाओं में संशोधन का कदम किसानों को नुकसान से बचाने के लिए दस साल, गोदामों की अधिक व्यवस्था, आत्मनिर्भर तिलहन अभियान, डेयरी किसानों के लिए व्यापक योजना निश्चित रूप से किसानों को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करेगी।

सीएम ने महिलाओं के लिए लाभ, आंगनवाड़ी सेविका, महिलाओं के लिए सार्वभौमिक कैंसर योजना, गरीबों के लिए आवास, युवाओं के लिए ब्याज मुक्त ऋण योजना, आईआईटी, आईआईएम में वृद्धि, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने जैसे अन्य प्रस्तावों पर प्रकाश डाला।

कांग्रेस नेता व नेता प्रतिपक्ष (विधानसभा) विजय वडेट्टीवार ने अंतरिम बजट को निरर्थक, किसानों, युवाओं और आम लोगों को धोखा देने वाला और विकास का आभास मात्र देने वाला बताया।

वडेट्टीवार ने कहा, यह भारत को दिवास्वप्न दिखाने का आखिरी प्रयास है। भारतीय जनता पार्टी सरकार केवल अपने अमीर व्यापार और उद्योग मित्रों की परवाह करती है और उनके पीछे खड़ी है। कॉर्पोरेट कर कम किया गया है, लेकिन जनता को कर छूट नहीं दी गई है। अंतरिम बजट पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की विफलता पर एक बयान है।

उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि सरकार दावा करती है कि 20 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है, फिर भी वह 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दे रही है, जिसका मतलब है कि देश में गरीबों की संख्या वास्तव में बढ़ी है, लेकिन भाजपा इससे ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक उन्माद फैलाने में लगी हुई है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा, यह बजट अमीर और गरीब के बीच की खाई को और बढ़ाएगा, किसानों और उद्योग जगत का भविष्य अंधकारमय दिखाई देगा, बेरोजगार लोगों की बढ़ती संख्या, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय करने की परंपरा कायम होगी। लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण टूटे हुए सपनों पर आत्म-प्रशंसा में व्यस्त थीं।

शिवसेना (यूबीटी) के नेता विपक्ष (परिषद) अंबादास दानवे ने कहा कि देश को किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए नई योजनाओं और वित्तीय प्रावधानों की उम्मीद थी, लेकिन कुछ भी नहीं दिया गया है।

उन्‍होंने कहा, मोदी सरकार ने फिर से दिखाया है कि वह किसानों के लिए कोई प्रावधान नहीं करके उनके प्रति असंवेदनशील है। ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों और खेत मजदूरों के लिए कोई ठोस योजना लाए बिना मोदी सरकार इस धारणा में है कि सिर्फ धर्म की बात करते रहने से वह फिर से चुनी जाएगी।

भारतीय जनता पार्टी के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि अंतरिम बजट में महिलाओं, किसानों, गरीबों, युवाओं और मध्यम वर्ग जैसे सभी वर्गों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

फड़णवीस ने कहा, इसमें एक करोड़ परिवारों को सौर ऊर्जा प्रणाली के माध्यम से 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करने, शहरी केंद्रों में चॉल या किराये पर रहने वाले गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए आवास योजनाएं, ब्याज मुक्त के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कोष प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। युवाओं के लिए ऋण क्रांतिकारी है और कई लोग उद्यमी बनेंगे, जिससे स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने लखपति दीदी कार्यक्रम के तहत तीन करोड़ महिलाओं को करोड़पति बनाने के प्रस्ताव की सराहना की, एसएचजी के माध्यम से 9 करोड़ महिलाओं को आर्थिक केंद्र-मंच पर शामिल किया, आदि आत्मविश्‍वास बढ़ाने वाली प्रस्तुति में अन्य प्रमुख आकर्षण थे।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एपी) के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अंतरिम बजट की सराहना करते हुए इसे 2047 तक विकसित भारत की नींव रखने और गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने में महत्वपूर्ण बताया।

अजित पवार ने कहा, प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 11.80 करोड़ किसानों को वित्तीय सहायता, 4 करोड़ किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ, आत्मनिर्भर तिलहन अभियान के तहत देश में सरसों, तिल, सूरजमुखी, मूंगफली, सोयाबीन तिलहन उत्पादन के लिए विशेष प्रयास, डेयरी किसानों के लिए व्यापक योजना आदि अत्यधिक प्रशंसनीय हैं। 3,000 नए आईटीआई, 7 आईआईटी, 16 आईआईआईटी, 7 आईआईएम और 15 एम्स प्लस 390 विश्‍वविद्यालयों के कदम से उच्च शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बजट की आलोचना करते हुए कहा : इस सर्द मौसम में उन्होंने लोगों की उम्मीदों पर ठंडा पानी डाला है और यह पिछले 10 वर्षों से लगातार हो रहा है... यहां तक कि 2014 में पीएम द्वारा घोषित नीतियां भी अभी पूरा होना बाकी है।”

वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि सरकार केवल ज्ञान दे रही है, लेकिन देश के वंचित वर्गों के लिए कुछ भी ठोस नहीं है, निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट में केवल आत्म-प्रशंसा, बयानबाजी और झूठ बताने में लगी रहीं।

उन्‍होंने कहा, अगर अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो पिछले 9 वर्षों में 12,88,293 उच्च निवल मूल्य वाले लोगों और उद्यमियों ने भारत क्यों छोड़ दिया? उनमें भी 25,000 लोग गुजरात से क्यों?

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