देश में औद्योगिक संपन्न और सर्वाधिक बिजली की खपत वाले राज्यों में से एक महाराष्ट्र सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांतिकारी विकास के दौर से गुजर रहा है। महाराष्ट्र अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के विस्तार की प्रतिबद्धता पर जोर दे रहा है। अधिकारियों ने बताया कि अपनी एकीकृत गैर-पारंपरिक ऊर्जा सामान्य नीति (31 मार्च, 2025 तक) के तहत, राज्य को अगले साल तक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को मौजूदा 1.90 गीगावॉट से बढ़ाकर 12 गीगावॉट से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
राज्य ने पवन ऊर्जा पर निर्भरता को कम करने के साथ-साथ सौर ऊर्जा के जरिए एक महत्वपूर्ण बदलाव सुनिश्चित किया है।
महाराष्ट्र ऊर्जा विकास एजेंसी (एमईडीए) को राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा नीतियों को तैयार करने और अंतिम रूप देने का काम सौंपा गया है, जिसमें एक नई नीति हाइब्रिड स्टोरेज जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल होंगी। जिसके जल्द ही आने की उम्मीद है।
महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल) ने मौजूदा अवधि (2020-2021 से 2024-2025) के लिए नेट मीटरिंग सिस्टम के लिए ग्रिड समर्थन शुल्क का प्रस्ताव दिया है, जिससे सौर प्रणालियों को पावर ग्रिड में एकीकृत करने की सुविधा मिलेगी।
एक अधिकारी ने बताया, राज्य में 100,000 से अधिक उपभोक्ताओं ने छत पर सौर ऊर्जा उत्पादन इकाइयों का विकल्प चुना है, जिससे उन्हें बिजली पर आत्मनिर्भरता कम करने के अलावा, बिजली बिल में लाखों रुपये बचाने में मदद मिली है।
ज्यादातर शहरी केंद्रों में कई हाउसिंग सोसायटी ने सौर ऊर्जा से लाभ उठाए हैं, जिसमें 20 प्रतिशत सब्सिडी शामिल है, साथ ही मासिक बिजली बिल में भी काफी कमी आई है।
एक अधिकारी ने नाम जा हिर न करने का अनुरोध करते हुए कहा, “हमारे अनुमान के अनुसार, 10 किलोवाट की छत वाली सौर इकाई की लागत 2-3 साल से भी कम समय में पूरी तरह से वसूली जा सकती है, और उसके बाद केवल बुनियादी रखरखाव की जरूरत होती है।”
उन्होंने कहा, नेट मीटरिंग प्रणाली के तहत उपयोगिता आपूर्तिकर्ता कुल बिल से सौर ऊर्जा खपत घटक को कम कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को अच्छी बचत होती है।
औसतन, एक शहरी परिवार प्रति माह लगभग 300 यूनिट बिजली की खपत करता है, और यदि सौर ऊर्जा से 150 यूनिट भी प्राप्त होती है, तो बिजली कंपनी से केवल 150 यूनिट के लिए ही शुल्क देना होगा।
इससे राज्य के कई उपभोक्ता और हाउसिंग सोसायटी अपने मासिक बिजली खर्च के भार से बच जाएंगे।
2024 तक, महाराष्ट्र भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य के रूप में उभरा है, जिसने राष्ट्रीय सौर क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर सहित नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर तेजी से उसने ध्यान केंद्रित किया है।
इस समय राज्य की कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 6,145 मेगावाट ( कुल का 14 प्रतिशत से अधिक) है, जो इसे स्थापित नवीकरणीय बिजली क्षमता के मामले में भारत के शीर्ष राज्यों में से एक बनाती है, और अभी वह तेजी से बढ़ रही है।
महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (MAHAGENCO) सतलुज जल विद्युत निगम के साथ 730 करोड़ रुपये की 105-मेगावाट की फ्लोटिंग सौर परियोजना विकसित कर रही है, जो पहले वर्ष में 230 मिलियन यूनिट और फिर 25 वर्षों में 5,420 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न करेगी।
अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड (एएमईएल) ने 2023 में मुंबई को 38 प्रतिशत हरित ऊर्जा की आपूर्ति की है, जिसे 2027 तक 60 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना है।
पहली बार, 12 मिलियन मुंबईकरों के घरों और प्रतिष्ठानों को दिवाली का उपहार मिला है, जब एईएमएल ने उन्हें रविवार को चार घंटे (सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे) तक नवीकरणीय स्रोतों से 1,200 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा से बिजली दी।
इसके अतिरिक्त, टाटा पावर महाराष्ट्र के सतारा जिले में 28.8 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना विकसित कर रही है।
इसके अलावा, महाराष्ट्र ने फीडर-स्तरीय सोलराइजेशन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान (पीएम-कुसुम) कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 366 मेगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू की है।
अधिकारी ने बताया कि राज्य को केंद्र के नए छत सौर ऊर्जा प्रस्ताव का बड़े पैमाने पर फायदा उठाने की संभावना है, जिससे उपभोक्ताओं को प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिल सकेगी।
हालांकि महाराष्ट्र अलग से सौर सब्सिडी की पेशकश नहीं करता है, लेकिन ऑन-ग्रिड या हाइब्रिड सिस्टम वाले उपभोक्ता केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) का लाभ उठा सकते हैं, जिसकी स्थापित क्षमता के अनुसार अलग-अलग दरें हैं।
इसके अलावा दूर-दराज की आबादी को सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का लाभ उठाने और लंबे समय तक हरित ऊर्जा सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए MEDA ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर प्रवेश कर रहा है।
कुल मिलाकर 2030 तक भारत 2023 से शुरू करके अगले सात वर्षों में 280 गीगावॉट के लक्ष्य के साथ हर साल लगभग 30 गीगावॉट सौर ऊर्जा स्थापित करने की योजना बना रहा है ।
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Source : IANS