प्रमुख लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू ने सोमवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एक सत्र अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें फिर जेल भेज दिया गया है। उन पर नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उनकी जमानत रद्द कर दी थी और उन्हें न्यायिक हिरासत में ले जाने के लिए अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
आत्मसमर्पण के बाद अधिकारियों ने साधु को हिरासत में ले लिया और मेडिकल परीक्षण कराने के बाद जिला जेल भेज दिया।
संत के वकील प्रताप जोगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रही अदालत को चार महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया। संत को कुछ महीनों के लिए जेल में रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को संत को जमानत देने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी और तर्क दिया था कि जब आरोपी संत न्यायिक हिरासत में हैं, तब गवाहों से पूछताछ करना उचित होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि जब तक पीड़िताओं और उनके माता-पिता से पूछताछ पूरी नहीं हो जाती, तब तक संत को जेल में रहना होगा।
अदालत का आदेश तब आया, जब पीड़िताओं के वकील ने तर्क दिया कि संत अत्यधिक प्रभावशाली हैं और आरोपपत्र दखिल होने के बावजूद वह मुकदमे के दौरान गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
मारुगा मठ-संचालित संस्था में पढ़ने वाली दो नाबालिग लड़कियों ने 26 अगस्त, 2022 को नजराबाद पुलिस में संत द्वारा यौन शोषण की शिकायत की थी और उन्हें 1 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार कर लिया गया था।
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Source : IANS