कर्नाटक सरकार ने सोमवार को किसानों को हर दिन सात घंटे बिजली उपलब्ध कराने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया। सिद्धारमैया ने कहा, राज्य को इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपये की आवश्यकता हो सकती है। यह व्यय अनुदान में बचत और धन के पुन: आवंटन से पूरा किया जाएगा।
अगले वर्ष के दौरान सौर ऊर्जा स्रोतों (ईआईपी फीडरों का सौर्यीकरण) से आईपी सेटों को बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया प्रगति पर है और अगले साल तक किसानों को दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने में सुविधा होगी।
साल 2022 की तुलना में 2023 में बिजली की औसत मांग 43 फीसदी बढ़ गई है। अक्टूबर में 15,978 मेगावाट मांग दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि बिजली की खपत पिछले साल की तुलना में 45 फीसदी तक बढ़ गयी है।
सिद्धारमैया ने कहा,“कृषि उपयोग 55 प्रतिशत से बढ़कर 119 प्रतिशत हो गया है। अन्य क्षेत्रों में उपयोग का प्रतिशत 9 से बढ़कर 14 प्रतिशत हो गया है। यह वृद्धि बारिश की कमी, आईपी सेट के शुरुआती उपयोग और कोविड-19 के बाद आर्थिक सुधार के कारण हुई है। पिछली प्रगति समीक्षा बैठक के बाद से रायचूर और बेल्लारी थर्मल पावर प्लांट का उत्पादन बढ़ा है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से बिजली खरीदी जा रही है।”
“अन्य राज्यों को बिजली की आपूर्ति नहीं करने का आदेश जारी किया गया है, और बिजली की खरीद की जा रही है। इस तरह बिजली वितरण सामान्य स्थिति में आ गया है। नोडल अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
सीएम सिद्धारमैया ने कहा, विभिन्न बिजली आपूर्ति कंपनियों के दायरे में आने वाले किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक पांच से सात घंटे तक लगातार बिजली आपूर्ति उपलब्ध करायी जाती है। राज्य भर में आईपी सेटों को लगातार सात घंटे तक बिजली प्रदान करने के लिए 600 मेगावाट/घंटा और 14 मिलियन यूनिट प्रति दिन की आवश्यकता होती है।”
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Source : IANS