कोझिकोड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में तीन अलग-अलग राजनीतिक मोर्चे के अनुभवी दिग्गजों की लड़ाई देखने को मिलेगी।
कांग्रेस ने अपने अनुभवी सीटिंग मेंबर एम.के.राघवन को इस सीट से फिर से उतारा है। उन्होंने 2019 में इस निर्वाचन क्षेत्र से हैट्रिक पूरी की थी और उनका मुकाबला कर रहे हैं बहुमुखी प्रतिभा के धनी सीपीआई-एम के मौजूदा राज्यसभा सदस्य और ट्रेड यूनियन नेता एलामाराम करीम।
भाजपा अपने दिग्गज एम.टी. रमेश को वापस ले आई है, जो 2004 में अपने असफल प्रयास के बाद वापस लौटे हैं।
राघवन को पहली बार बहुत कम अंतर से जीत मिली थी। उनकी जीत का अंतर 2009 में मात्र 838 वोट था जो बढ़कर 2014 में 16,883 हो गया और 2019 में उन्हें 85,225 के अंतर से आसान जीत मिली।
इस बार, यह देखना बाकी है कि उनकी पार्टी के कैडर कैसे प्रतिक्रिया देंगे। वह शशि थरूर के काफी करीबी सहयोगी रहे हैं।
करीम इसी निर्वाचन क्षेत्र से हैं और केरल विधानसभा में कुछ कार्यकाल के बाद एक लोकप्रिय चेहरा हैं। वह एक बार राज्य के उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं।
करीम के लिए एक और फायदा यह है कि 2021 के विधानसभा चुनावों में कोझिकोड लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से सत्तारूढ़ वामपंथ ने पांच में और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने दो में जीत हासिल की थी।
उधर, आरएसएस कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय नेता रहे रमेश दो दशकों के अंतराल के बाद चुनाव मैदान में लौटे हैं। 2004 में उन्हें 97,000 से अधिक वोट मिले थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को 1,61,216 वोट मिले थे।
यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। सीएए के लागू होने के साथ सभी की निगाहें अब कोझिकोड पर हैं। यह देखना बाकी है कि मुस्लिम वोट किस तरफ जाएंगे और क्या रमेश भाजपा वोटों की संख्या बढ़ाने में कामयाब होते हैं।
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Source : IANS