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मधुमेह को नियंत्रित करने से डिमेंशिया को रोकने में मिल सकती है मदद : भारतीय मूल के वैज्ञानिक

मधुमेह को नियंत्रित करने से डिमेंशिया को रोकने में मिल सकती है मदद : भारतीय मूल के वैज्ञानिक

Updated on: 24 Mar 2024, 06:30 PM

नई दिल्ली:

भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक ने अपने शोध में पाया है कि मधुमेह से बचकर या कम से कम इसे अच्छी तरह से नियंत्रित रखकर अल्जाइमर्स में डिमेंशिया के खतरे को कम करना संभव है।

अमेरिका स्थित टेक्सस एएंडएम यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार, जिन्होंने अमेरिकन सोसाइटी फॉर बायोकैमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन का नेतृत्व किया, ने पाया कि मधुमेह और अल्जाइमर्स बीमारियों का गहरा संबंध है।

उन्होंने कहा, मधुमेह के लिए निवारक या सुधारात्मक उपाय करके, हम अल्जाइमर्स में डिमेंशिया के लक्षणों को बढ़ने से रोक सकते हैं या कम से कम काफी धीमा कर सकते हैं।

मधुमेह और अल्जाइमर्स विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चिंताओं में से दो हैं। मधुमेह शरीर की भोजन को ऊर्जा में बदलने की क्षमता में परिवर्तन लाता है और अनुमानतः हर 10 में से एक अमेरिकी वयस्क को प्रभावित करता है। अध्ययन के अनुसार, अल्जाइमर्स अमेरिका में मौतों के शीर्ष 10 कारणों में से एक है।

शोधकर्ताओं ने जानने की कोशिश की कि मधुमेह वाले लोगों में खान-पान अल्जाइमर्स के विकास को कैसे प्रभावित कर सकता है।

उन्होंने पाया कि उच्च वसा वाला आहार आंत में जैक3 नामक एक विशिष्ट प्रोटीन की अभिव्यक्ति को कम कर देता है। इस प्रोटीन के बिना चूहों में आंत से यकृत और फिर मस्तिष्क तक सूजन की एक श्रृंखला देखी गई। परिणामस्वरूप, चूहों में संज्ञानात्मक हानि के साथ-साथ मस्तिष्क में अल्जाइमर्स जैसे लक्षण दिखे।

शोधकर्ताओं का मानना है कि आंत से मस्तिष्क तक के मार्ग में लिवर की भूमिका होती है।

कुमार ने कहा, हम जो कुछ भी खाते हैं लिवर उसका चयापचय करता है। हमें लगता है कि आंत से मस्तिष्क तक का रास्ता लिवर से होकर गुजरता है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.