गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भारत अगले तीन साल में माओवाद संबंधी समस्याओं से मुक्त हो जाएगा।
शाह ने असम के तेजपुर शहर में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के 60वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश अगले तीन वर्षों के भीतर माओवादी समस्याओं से शत-प्रतिशत मुक्त हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि एसएसबी के जवान छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी ड्यूटी कर रहे हैं। शाह ने कहा, एसएसबी ने सीआरपीएफ और बीएसएफ के साथ मिलकर माओवादी आंदोलन को हाशिये पर डाल दिया है।
उन्होंने कहा कि एसएसबी ने 2026 तक बल में महिला कर्मियों की संख्या छह प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है और चार प्रतिशत का लक्ष्य पहले ही हासिल कर लिया है।
उन्होंने कहा, एसएसबी महिला सैनिकों ने संयुक्त राष्ट्र मिशन और अमरनाथ यात्रा जैसे चुनौतीपूर्ण कर्तव्यों में भी भाग लिया है।
उन्होंने कहा कि सेवा, सुरक्षा और भाईचारा के मूलमंत्र के साथ राष्ट्र की सेवा और सुरक्षा में तैनात एसएसबी का इतिहास बहुत गौरवशाली है।
उन्होंने कहा, “एसएसबी की स्थापना 1963 में भारत-चीन युद्ध के बाद हुई थी। इसके बाद, जब अटल जी ने वन बॉर्डर, वन फोर्स की नीति लागू की, एसएसबी 2001 से भारत-नेपाल सीमा और 2004 से भारत-भूटान सीमा पर बहुत कर्तव्यनिष्ठा से निगरानी कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि एसएसबी पूरी सतर्कता के साथ 2,450 किलोमीटर लंबी खुली सीमाओं की सुरक्षा कर रही है।
उन्होंने कहा, चाहे जंगल हो, पहाड़ हो, नदी हो या पठार - एसएसबी जवानों ने किसी भी प्रकार के मौसम में अपनी ड्यूटी से कभी समझौता नहीं किया है।
शाह ने कहा कि एसएसबी एक अद्वितीय संगठन है जिसने न केवल सीमाओं की सुरक्षा की है, बल्कि दुर्गम क्षेत्रों में आतंकवादियों और नक्सलियों का भी सामना किया है। बल ने भारत-चीन, भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा के पास के सभी गांवों की सांस्कृतिक, भाषाई, भौगोलिक और ऐतिहासिक जानकारी को सावधानीपूर्वक संग्रहीत करने का काम भी किया है।
शाह ने पिछले नौ साल में सुरक्षा बलों में करीब एक लाख 75 हजार नौकरियां देने का दावा किया।
उन्होंने कहा, “जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से सीमा सुरक्षा कर्मियों के रिक्त पदों को भरने और कार्यभार को वितरित करने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है। 2014 से अब तक एक लाख 75 हजार रिक्तियों पर भर्ती पूरी की जा चुकी है। यह किसी भी अन्य नौ साल की अवधि में होने वाली भर्तियों से दोगुनी से भी अधिक है।
शाह ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना सीमावर्ती गांवों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उपहार है।
उन्होंने कहा, यह योजना एक नई अवधारणा के साथ लाई गई है कि सीमावर्ती गांव देश का आखिरी गांव नहीं बल्कि देश का पहला गांव है और देश की शुरुआत वहीं से होती है।
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Source : IANS