सरकार ने ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित घरेलू कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स बढ़ा दिया है, इससे कीमतें लगभग 95 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं।
30 सितंबर से पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल टैक्स 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार100 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। यह टैक्स सरकार को उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी और सीएनजी की कीमतों में सब्सिडी देने के लिए अधिक संसाधन जुटाने में मदद करता है।
जुलाई-सितंबर तिमाही में तेल की कीमतें लगभग 30 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं, क्योंकि सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व में ओपेक प्लस के उत्पादन में कटौती से वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति कम हो गई है।
सभी की निगाहें अब 4 अक्टूबर को होने वाली अगली ओपेक प्लस मंत्रिस्तरीय पैनल की बैठक पर हैं, जब इस बात पर निर्णय होने की उम्मीद है कि आपूर्ति में कटौती जारी रहेगी या नहीं।
विश्लेषकों के मुताबिक, इससे यह तय होगा कि बाजार में 100 डॉलर प्रति बैरल की ओर दौड़ जारी रहेगी या नहीं। सितंबर की शुरुआत में, सऊदी अरब ने अपनी एक मिलियन बीपीडी कटौती को दिसंबर तक बढ़ा दिया था।
इस बीच बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड नवंबर वायदा की कीमत 95.31 डॉलर प्रति बैरल पर मँडरा रही है, जो बाजार में मजबूती का संकेत दे रही है।
भारत ने पिछले साल जुलाई में कच्चे तेल उत्पादकों पर अप्रत्याशित कर लगाया और गैसोलीन, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात पर लेवी बढ़ा दी, क्योंकि निजी रिफाइनर घरेलू बिक्री के बजाय विदेशी बाजारों में मजबूत रिफाइनिंग मार्जिन से लाभ कमाना चाहते थे। विमानन टरबाइन ईंधन पर लेवी 3.50 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 2.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 5.50 रुपये से घटाकर 5 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। इन कीमतों की अब हर पखवाड़े समीक्षा की जाती है।
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Source : IANS