सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सीबीआई को 20,000 करोड़ रुपये के 87,000 बिटकॉइन के व्यापार से जुड़े कथित गेनबिटकॉइन घोटाले के संबंध में देशभर में दर्ज विभिन्न एफआईआर की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी को सुनवाई के लिए नई दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष मामले से संबंधित आरोपपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया।
पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने 30 अगस्त, 2019 के अपने पहले के आदेश को संशोधित करते हुए आरोपी अजय भारद्वाज को रजिस्ट्री में 1 करोड़ रुपये जमा करने की शर्त पर अग्रिम जमानत दे दी।
इसने निर्देश दिया कि उपरोक्त राशि को दिल्ली की ट्रायल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया जाए और स्पष्ट किया कि यदि आरोपी को किसी अन्य अदालत द्वारा नियमित जमानत नहीं दी जाती है, तो वह दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट के उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड का विवरण देने के अपने निर्देश का पालन नहीं करने के लिए भारद्वाज की खिंचाई की थी।
भारद्वाज और कथित मास्टरमाइंड उनके भाई अमित भारद्वाज पर निवेशकों को भारी रिटर्न का वादा करने वाली एक बहु-स्तरीय मार्केटिंग योजना चलाने का आरोप है। अमित भारद्वाज की हाल ही में मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में भारतीय रिज़र्व बैंक के 6 अप्रैल, 2018 के परिपत्र को रद्द कर दिया था, जिसमें बैंकों और उसके द्वारा विनियमित संस्थाओं को आभासी मुद्राओं से संबंधित सेवाएं देने से रोक दिया गया था।
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Source : IANS