कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में आरोपी शराब कंपनी बड्डी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत का आग्रह किया। उन्होंने अपनी बेटी की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि उसे परिवार के सदस्यों, विशेषकर उसके माता-पिता द्वारा नियमित निगरानी की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि सितंबर में अदालत ने अरोड़ा को ऑपरेशन के बाद की देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दी थी, क्योंकि उनकी लैप्रोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी हुई थी।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा था कि जेल में अरोड़ा की चिकित्सा स्थिति के लिए आवश्यक देखभाल प्रदान करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं हो सकता है।
अरोड़ा के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने तर्क दिया था कि उन्हें उनकी सर्जरी के बाद 31 अगस्त को फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट से छुट्टी दे दी गई थी, और उनकी विभिन्न चिकित्सीय स्थितियों को देखते हुए उन्हें तीन महीने की अवधि के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए।
मंगलवार को पाहवा और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
ईडी के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि अरोड़ा की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य उनकी बेटी की देखभाल के लिए उपलब्ध हैं, जिससे उनकी रिहाई अनावश्यक हो गई है।
पाहवा ने तर्क दिया कि अरोड़ा इस समय अस्पताल में भर्ती हैं और उन्हें कुछ समय के लिए अंतरिम जमानत देने से न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार, विशेषकर उनकी बीमार बेटी को भी फायदा होगा।
पाहवा ने अदालत को बताया कि अरोड़ा की बेटी ने कई बार आत्महत्या के प्रयास किए हैं और उसे पैरानॉयड सिज़ोफ्रेनिया का पता चला है। अदालत को बताया गया कि उसकी आगामी परीक्षाएं तनाव का कारण हैं और वह उनकी तैयारी करने की स्थिति में नहीं है।
पाहवा के मुताबिक, अंतरिम जमानत की याचिका मानवीय आधार पर दी गई थी।
आबकारी नीति मामले की जांच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी दोनों द्वारा की जा रही है। इसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी आरोपी हैं।
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Source : IANS