क्वांटम म्यूचुअल फंड के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से डीआईआई प्रवाह मजबूत रहा है, वहीं बढ़ती वैश्विक ब्याज दरों ने एफपीआई प्रवाह को नियंत्रण में रखा है।
डीआईआई ने 2022 में 35.8 अरब डॉलर और 2023 में 20.2 अरब डॉलर का निवेश किया है। इस साल एफपीआई प्रवाह 12.8 अरब डॉलर पर काफी कम रहा है, लेकिन 2022 में 16.5 अरब डॉलर के ऑउटफ्लो से बेहतर है। इसके चलते भारतीय इक्विटी में एफपीआई स्वामित्व में गिरावट आई है।
वैश्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में नरमी के साथ, भारत का स्थिर नीति वातावरण और मजबूत अर्थव्यवस्था विदेशी प्रवाह को आकर्षित कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती वैश्विक ब्याज दरों, मूल्यांकन विस्तार की सीमित गुंजाइश और भू-राजनीतिक तनाव के बीच कच्चे तेल की ऊंची कीमतों को देखते हुए वर्ष 2023 में उम्मीद से ज्यादा इक्विटी रीटर्न मिला है।
सेंसेक्स ने इस साल कुल 19.1 प्रतिशत का रिटर्न दिया, जिसमें मुख्य रूप से आय वृद्धि का योगदान रहा। बीएसई मिड कैप और बीएसई स्मॉल कैप सूचकांकों ने क्रमशः 44.7 प्रतिशत और 46.7 प्रतिशत का रिटर्न दिया।
लार्ज और मिड-कैप सूचकांकों में रिटर्न मुख्य रूप से फ्लैट था। यह वित्त वर्ष 2012 में शुरू हुए आय चक्र के मजबूत होने का संकेत है।
स्मॉल और मिडकैप शेयरों ने अपनी आय वृद्धि की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर रिटर्न दर्ज किया है। पिछले तीन वर्षों में स्मॉल और मिड-कैप श्रेणियों में प्रवाह का संचयी हिस्सा 28.3 प्रतिशत है, जबकि एयूएम हिस्सा 19 प्रतिशत है।
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Source : IANS