वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि जिन शिशुओं ने जन्म के बाद पहला साल कोविड-19 महामारी के दौरान बिताया है, उनकी आंत में पहले पैदा हुए बच्चों की तुलना में कम बैक्टीरिया पाए गए हैं।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि जिन शिशुओं की आंत के बैक्टीरिया का महामारी के दौरान नमूना लिया गया था, उनमें आंत के माइक्रोबायोम की अल्फा विविधता कम थी, जिसका अर्थ है कि आंत में बैक्टीरिया की कम प्रजातियां थीं।
शिशुओं में पाश्चुरैलेसी और हेमोफिलस बैक्टीरिया की कम थे, जो मनुष्यों के भीतर रहते हैं और विभिन्न संक्रमणों का कारण बन सकते हैं।
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि यह परिवर्तन कोविड-19 महामारी के कारण हुए हैं। इसके लिए सामाजिक बदलाव भी जिम्मेदार हो सकते हैं। इन बदलावों के पीछे संभावित रूप से घर पर अधिक समय बिताना, डेकेयर में अन्य बच्चों से अलग रखना, साफ-सफाई में इजाफा, बेहतर पर्यावरण, अच्छा आहार, स्तनपान और सही देखभाल कारण हो सकते हैं।
शोध पत्र की सह-प्रमुख लेखिका और एनवाईयू स्टीनहार्ट के विकासात्मक मनोविज्ञान कार्यक्रम से हाल ही में डॉक्टरेट स्नातक सारा सी. वोगेल ने कहा कि कोविड-19 महामारी हमें यह बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए एक दुर्लभ प्राकृतिक प्रयोग प्रदान करती है कि सामाजिक वातावरण शिशु आंत के माइक्रोबायोम को कैसे प्रभावित करता है।
वहीं, यह अध्ययन अनुसंधान के बढ़ते क्षेत्र में योगदान देता है कि शिशु के सामाजिक वातावरण में परिवर्तन आंत के माइक्रोबायोम में परिवर्तन के साथ कैसे जुड़े हो सकते हैं।
अध्ययन के लिए टीम ने न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले 12 महीने के बच्चों के दो सामाजिक, आर्थिक और नस्लीय रूप से विविध समूहों के मल के नमूनों की तुलना की। इनमें महामारी से पहले के 34 शिशुओं के नमूनों की तुलना मार्च 2020 और दिसंबर 2020 के बीच के 20 शिशुओं से की गई।
एनवाईयू स्टीनहार्ट में एसोसिएट प्रोफेसर नताली ब्रिटो ने कहा, हम जानते हैं कि वयस्कों में आंत में माइक्रोबायोटा प्रजातियों की विविधता में कमी खराब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है। लेकिन, शैशवावस्था के दौरान आंत के माइक्रोबायोम के विकास और प्रारंभिक देखभाल करने वाला वातावरण उन संबंधों को कैसे आकार दे सकता है, इस पर अधिक शोध की आवश्यकता है।
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Source : IANS