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राम मंदिर देश की सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी: राष्ट्रपति मुर्मू

राम मंदिर देश की सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी: राष्ट्रपति मुर्मू

Updated on: 25 Jan 2024, 10:35 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में नवनिर्मित राम मंदिर को इतिहासकार आने वाले समय में भारत की अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर पुनः खोज में एक मील का पत्थर मानेंगे।

राष्ट्रपति ने देश के 75वें गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि गणतंत्र का 75वां वर्ष वास्तव में कई मायनों में देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

उन्होंने कहा, इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे। उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद, मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है। यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है।

राष्ट्रपति ने बिहार के दो बार के दिवंगत मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भी याद किया।

उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर सामाजिक न्याय के अथक समर्थक थे।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन एक संदेश था। अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए, मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।

उन्होंने आगे कहा, कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। संविधान की प्रस्तावना हम, भारत के लोग, इन शब्दों से शुरू होती है। ये शब्द, हमारे संविधान के मूल भाव अर्थात् लोकतंत्र को रेखांकित करते हैं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। इसीलिए भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश अमृत काल के प्रारंभिक वर्षों में है, जो स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर अग्रसर है।

राष्ट्रपति ने कहा, यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है। हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है। हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान, महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी।

इस संदर्भ में मुझे महात्मा गांधी का स्मरण होता है। बापू ने ठीक ही कहा था, “जिसने केवल अधिकारों को चाहा है, ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है। केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है।” ...भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। जी20 से जुड़े आयोजनों में जन-सामान्य की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

विचारों और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था। उस भव्य आयोजन से यह सीख भी मिली है कि सामान्य नागरिकों को भी ऐसे गहन तथा अंतर-राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे में भागीदार बनाया जा सकता है जिसका प्रभाव अंततः उनके अपने भविष्य पर पड़ता है। जी20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से विकासशील और पिछड़े देशों की आवाज के रूप में भारत के अभ्युदय को भी बढ़ावा मिला, जिससे अंतर-राष्ट्रीय संवाद की प्रक्रिया में एक आवश्यक तत्व का समावेश हुआ।

उन्होंने अपने संबोधन में महिला आरक्षण बिल का भी जिक्र किया. मेरा मानना है कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। इससे हमारे शासन की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में भी बहुत सहायता मिलेगी। जब सामूहिक महत्व के मुद्दों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, तब हमारी प्रशासनिक प्राथमिकताओं का जनता की आवश्यकताओं के साथ बेहतर सामंजस्य बनेगा। इसी अवधि में भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना। चंद्रयान-3 के बाद इसरो ने एक सौर मिशन भी शुरू किया। हाल ही में आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक ‘हेलो ऑर्बिट’ में स्थापित किया गया है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा, हाल के वर्षों में, सकल घरेलू उत्पाद की हमारी वृद्धि दर, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रही है। ठोस आकलन के आधार पर हमें पूरा विश्वास है कि यह असाधारण प्रदर्शन, वर्ष 2024 और उसके बाद भी जारी रहेगा।

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