सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद साजिश मामले के आरोपी महेश राउत को जमानत देने का आदेश 1 नवंबर तक प्रभावी नहीं होगा।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू द्वारा स्थगन की मांग के बाद मामले की सुनवाई टाल दी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पहले ही दी गई रोक को लिस्टिंग की अगली तारीख 5 अक्टूबर तक बढ़ा दी थी। अदालत ने आदेश में कहा था कि बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादित आदेश के लागू होने से पहले ही लगाई गई रोक सुनवाई की अगली तारीख तक जारी रहेगी।
21 सितंबर को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने राउत को जमानत दे दी थी। राउत माओवादियों के साथ कथित संबंधों के लिए 6 जून 2018 से जेल में है।
हालांकि, आतंकवाद-रोधी एजेंसी के सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने पर रोक लगाने की मांग के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश को लागू करने को एक सप्ताह के लिए टाल दिया। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने दो अन्य आरोपियों वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी थी। दोनों अगस्त 2018 से जेल में थे।
यह मामला 31 दिसंबर 2017 को महाराष्ट्र के पुणे के शनिवारवाड़ा में कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित एल्गार परिषद के दौरान लोगों को उकसाने और उत्तेजक भाषण देने से संबंधित है। जिसने कथित तौर पर विभिन्न जाति समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और हिंसा हुई, जिसके परिणामस्वरूप जान-माल का नुकसान हुआ तथा महाराष्ट्र में राज्यव्यापी आंदोलन भी हुआ था।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS