बॉम्बे हाईकोर्ट ने कथित नक्सलियों से संबंध रखने के भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले के मुख्य आरोपियों में से एक, मानवाधिकार कार्यकर्ता-पत्रकार गौतम नवलखा को मंगलवार को जमानत दे दी।
खंडपीठ में न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति शिवकुमार एस. डिगे ने नवलखा को जमानत दे दी, लेकिन आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी।
14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किए गए 73 वर्षीय नवलखा अपनी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों के कारण नवंबर 2022 से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लगातार जेल में और घर में नजरबंद रहे।
वह सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, आनंद तेलतुंबडे, वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा के बाद सातवें आरोपी बनाए गए। उन्हें लगभग 44 महीने हिरासत में बिताने के बाद जमानत पर रिहा किया गया है।
नवलखा को अन्य आरोपियों के साथ पुणे पुलिस और बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने और 1 जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा कोरेगांव स्मारक पर जातीय दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दंगे में एक युवक की मौत हो गई और राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी।
उन पर नक्सलियों से संबंध रखने, प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के एजेंडे को आगे बढ़ाने, आपत्तिजनक दस्तावेज रखने, कश्मीर अलगाववादियों का समर्थन करने सहित अन्य आरोप लगाए गए थे।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS