Advertisment

बेंगलुरु के डॉक्टरों ने समय से पहले 25 सप्ताह में जन्मी बच्ची को दिया जीवनदान

बेंगलुरु के डॉक्टरों ने समय से पहले 25 सप्ताह में जन्मी बच्ची को दिया जीवनदान

author-image
IANS
New Update
hindi-bengaluru-doctor-ave-premature-girl-born-at-25-week-weighing-750-gram--20240607145406-20240607

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए डॉक्टरों ने समय से पहले जन्मी 25 सप्ताह की एक बच्ची को जीवनदान दिया। जन्म के समय मासूम का वजन मात्र 750 ग्राम था।

बेंगलुरु के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के चिकित्सकों ने 25 सप्ताह की अवधि में मां में गर्भाशय-ग्रीवा और गंभीर यूरिनरी इंफेक्शन (यूटीआई) की पहचान की।

अक्षम गर्भाशय ग्रीवा डिजीज गर्भाशय ग्रीवा को छोटा और कमजोर कर सकती है या गर्भावस्था के दौरान इसे बहुत जल्दी खोल सकती है। वहीं, यूटीआई सूजन संबंधी परेशानियों का कारण बनती है, जिससे गर्भाशय में संकुचन होता है और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है।

गंभीर यूटीआई के कारण 25 सप्ताह में प्रसव के दौरान झिल्ली का फटना शुरू हो गया, जिसके कारण बेंगलुरु की इस महिला ने 750 ग्राम वजन की एक बच्ची को जन्म दिया।

25 सप्ताह की उम्र में, भ्रूण के अधिकांश अंग ठीक से विकसित नहीं होते हैं, और इसलिए समय से पहले जन्मे ऐसे बच्चों के बचने की संभावना बहुत कम होती है।

क्लाउडनाइन में कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ मोहित सिंघल ने बताया, जब मां 25 सप्ताह की गर्भवती थी और उसे अक्षम गर्भाशय ग्रीवा और गंभीर यूरिनरी संक्रमण (यूटीआई) का पता चला तो हम परिणाम और बच्चे के जीवित रहने के संभावना को लेकर काफी संदेह में थे।

उन्होंने कहा, पश्चिमी देशों में 24 से 26 सप्ताह के बीच जन्म लेने वाले लगभग 50-60 प्रतिशत बच्चे जीवित रह सकते हैं। 4 में से केवल 1 बच्चे (25 प्रतिशत) का ही जीवित रहना संभव है। लगभग 50 प्रतिशत में हल्की विकासात्मक कमियां हो सकती हैं और 25 प्रतिशत को गंभीर न्यूरो डेवलपमेंट समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि मूवमेंट सेरेब्रल पाल्सी, सुनने की क्षमता में कमी, दृष्टि में कमी और सीखने में गंभीर कठिनाई होना शामिल है।

जन्म के तुरंत बाद बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, जिसके कारण उसे इनट्यूबेशन और वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी। दूसरे दिन, बच्चे को हाइपोटेंशन या लो ब्लड प्रेशर का अनुभव हुआ और उसे रक्त संचार को स्थिर करने और ऑक्सीजन की आपूर्ति को अनुकूल बनाने के लिए दवाओं की जरूरत पड़ी।

इसके अलावा, हृदय की स्थिति का आकलन करने के लिए किए गए ईसीएचओ स्कैन से एक महत्वपूर्ण पेटेंट डक्टस आर्टेरीओसस नामक अतिरिक्त रक्त वाहिका का पता चला, जिसे दवा देकर हटा दिया गया।

डॉक्टर ने कहा कि नवजात शिशु को 62 दिनों की चुनौतीपूर्ण देखभाल में रखने के बाद 1.67 किलोग्राम वजन होने पर छुट्टी दे दी गई।

उन्होंने कहा कि बच्ची ठीक है, बिना किसी जटिलता के बढ़ रही है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment