कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को योजना एवं सांख्यिकी मंत्री डी. सुधाकर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कथित भूमि कब्जा और अत्याचार मामले में मंत्री के खिलाफ जांच पर अंतरिम रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंत्री सुधाकर की याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश जारी किया। पीठ ने सरकार को आपात नोटिस जारी कर आपत्तियां दाखिल करने को कहा था। मामले को 3 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
येलहंका निवासी सुब्बम्मा ने 10 सितंबर को येलहंका थाने में मंत्री डी. सुधाकर व अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
सुब्बम्मा ने आरोप लगाया था कि सुधाकर और अन्य लोगों ने उसके परिवार के सदस्यों को धोखा दिया और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर ले लिए। इस संबंध में मामला सिविल कोर्ट के साथ-साथ हाईकोर्ट में भी है।
सुब्बम्मा ने आरोप लगाया कि इसके बावजूद सुधाकर व अन्य लोग आए और मकान खाली करा दिए। जब इस पर सवाल उठाया गया तो 35 से अधिक लोगों ने जातिसूचक गालियां देते हुए हमला कर दिया था।
मंत्री सुधाकर ने स्पष्ट किया था कि वह ज्यादती के मामले में शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा था, मैं सभी जातियों का सम्मान करता हूं और मैंने कोई गलती नहीं की है।
उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मामला दीवानी प्रकृति का है। धमकी देने और पीसीआर में अंतर है। मैंने अधिकारियों से जानकारी ली तो पता चला कि यह झूठा मामला है। सुधाकर को इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
शिवकुमार ने आगे कहा कि भाजपा कोई भी साजिश रचे, ये सिविल केस है। राज्य में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में, मुझे मामले के बारे में सारी जानकारी मिल गई है। सुधाकर ने सहमति से जमीन खरीदी थी।
चुनाव के दौरान एक तीसरे पक्ष ने उस जमीन पर एक परिसर स्थापित कर दिया था। सुधाकर के समर्थक अपनी जमीन बचाने गये थे। इस संबंध में पीसीआर के माध्यम से ज्यादती का मामला दर्ज कराया गया है।
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Source : IANS