अनुराग कश्यप डायरेक्टर के साथ-साथ एक्टर भी हैं। वह इन दिनों हाल में ही रिलीज हुई वेब सीरीज बैड कॉप के लिए मिल रहे पॉजिटिव फीडबैक को एन्जॉय कर रहे हैं। उन्होंने कला में नैतिकता की अवधारणा पर अपनी राय दी।
उन्होंने सवाल किया कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए फिल्म इंडस्ट्री की ही जिम्मेदारी क्यों मानी जाती है? अगर वे कुछ नकारात्मक दिखाते हैं तो उनकी आलोचना क्यों की जाती है?
अनुराग कश्यप ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि एक फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों में जो चाहे दिखा सकता है। यह एक काल्पनिक दुनिया है।
उन्होंने कहा, नैतिकता इंसान की अपनी होती है, एक फिल्म निर्माता अपनी फिल्म में जो चाहे दिखा सकता है। लोग सोचते हैं कि यह फिल्म बिरादरी के मेंबर हैं जो समाज में बुरी चीजों को पेश करते हैं या समाज को सुधारते हैं।
उन्होंने आगे कहा, इसे फिल्म निर्माताओं की एकमात्र जिम्मेदारी क्यों माना जाता है? जिसको जो बनाना है वो बनाए, जिसको जो दिखाना है वो दिखाए... एक फिल्म निर्माता जो चाहे बना सकता है या दिखा सकता है क्योंकि वह उसकी फिल्म है। आप अपनी नैतिकता या वर्ल्ड व्यू दूसरों पर नहीं थोप सकते। अगर कोई व्यक्ति इतना ताकतवर हो जाता है कि वह अपनी नैतिकता दूसरों पर थोप सकता है तो वह तानाशाह बन जाता है।
इसके बाद अनुराग ने पोल पॉट का उदाहरण दिया। बता दें कि पोल पॉट एक कम्युनिस्ट तानाशाह था। उसने 1976 से 1979 के बीच लोकतांत्रिक कम्पूचिया के प्रधानमंत्री के रूप में कंबोडिया पर शासन किया। उस समय कम से कम 25 लाख कंबोडियाई लोगों की भुखमरी-बीमारी से मौत हो गई।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, अगर आप पोल पॉट की शुरुआत के बारे में पढ़ेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं। वह एक साधारण डॉक्टर था और जब उसने शुरुआत की तो उसके इरादे बहुत अलग थे, और देखिए उसने क्या किया।
निर्देशक ने पोल पॉट के खमेर रूज की ओर इशारा किया, जो कम्पूचिया की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे, जिन्होंने अनुमानित 2 मिलियन लोगों की हत्या की थी।
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Source : IANS