प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई का द्रविड़ विचारधारा के पहले मुख्यमंत्री अन्ना (बड़े भाई) के नाम से मशहूर सी.एन. अन्नादुरई के खिलाफ 11 सितंबर को दिये गये बयान ने भगवा पार्टी को तमिलनाडु में मुश्किल स्थिति में पहुंचा दिया है।
अन्नामलाई ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री, पी.के. शेखर बाबू के सनातन धर्म के खिलाफ एक बयान के विरोध में आयोजित एक कार्यक्रम में अन्नादुरई के खिलाफ भी बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अन्नादुरई ने 1950 के दशक में मदुरै में एक कार्यक्रम में हिंदू आस्था के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की थी, जिसका स्वतंत्रता सेनानी पसुमपोन मुथुमारलिंग थेवर ने कड़ा विरोध किया था।
अन्नामलाई के बयान के तुरंत बाद अन्नाद्रमुक नेता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ एकजुट हो गए। हालांकि अन्नामलाई अपनी टिप्पणी पर मजबूती से डटे रहे, लेकिन इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि इन टिप्पणियों के बाद जमीनी स्तर पर अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भाजपा के प्रति कड़वाहट है।
अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सेलुर के. राजू ने अन्नामलाई पर तीखा हमला करते हुए कहा था, ऐसे लोग हैं जो अन्ना के कट्टर अनुयायी हैं जो दिवंगत मुख्यमंत्री के बारे में बुरा बोलने वालों की जीभ काट सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा, तमिल संस्कृति में, किसी भी वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं सहित दिवंगत लोगों के बारे में बुरा नहीं बोलते हैं। अन्नाद्रमुक नेता जिन्होंने एम. करुणानिधि के जीवित रहते हुए उनकी तीखी आलोचना की थी, वे उनके बारे में सम्मान की बात कर रहे हैं।
पूर्व मंत्री और अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता, सी.वी. शनमुगम और डी. जयकुमार भी अन्नादुरई के खिलाफ उनकी टिप्पणियों पर अन्नामलाई के खिलाफ सामने आए हैं।
अन्नाद्रमुक सरकार में पूर्व कानून मंत्री रहे शनमुघम ने कहा कि तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन की भाजपा को ज्यादा जरूरत थी। उन्होंने अन्नामलाई द्वारा की गई यात्रा को वसूल यात्रा कहकर उसकी निंदा की।
सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एम. कदंबरन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, अगर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अन्नामलाई पर लगाम नहीं लगाता है, तो तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन गड़बड़ा सकता है। भाजपा नेता समझ नहीं रहे हैं। तमिल राजनीति में, संस्कृति और पहचान बहुत महत्वपूर्ण हैं और अगर अन्नामलाई जैसा नव-राजनीतिज्ञ सोचता है कि वह एक दिन में तमिलनाडु की राजनीति को बदल सकता है, तो वह पूरी तरह से गलत है और मेरे अनुसार, अन्नाद्रमुक कैडर और सहानुभूति रखने वाले भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर बहुत उत्सुक नहीं हैं और पुलिसकर्मी से राजनेता बने अन्नामलाई के बयान के बाद उनका तर्क अब और अधिक स्पष्ट हो गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, भाजपा के साथ गठबंधन में अन्नाद्रमुक को ही नुकसान हो रहा है और भाजपा के दोनों हाथों में लड्डू हैं। इसलिए कैडर चाहते हैं कि पार्टी गठबंधन से अलग हो जाए और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़े। हर बीतते दिन के साथ यह तर्क और अधिक गंभीर होता जा रहा है।
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Source : IANS