कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को शहर के प्रतिष्ठित जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जेयू के पूर्व छात्रों को 24 घंटे के भीतर विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र के तहत छात्रावास खाली करने के लिए कहें।
न्यायमूर्ति टी.एस.शिवगणनम और हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने 10 अगस्त को एक नवागन्तुक की रैगिंग से हुई मौत के मद्देनजर यह निर्देश जारी किया।
जांच से पता चला कि पूर्व छात्रों ने उत्तीर्ण होने के कई महीनों बाद भी छात्रावासों पर कब्जा जारी रखा। रैगिंग के पीछे भी इन्हीं छात्रों का मुख्य दिमाग था। इन्होंने आवास संबंधी प्रशासनिक निर्णयों में भी हस्तक्षेप किया।
खंडपीठ तृणमूल कांग्रेस के छात्र विंग के नेता सुदीप राहा द्वारा फ्रेशर छाात्र की मौत पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
यह निर्देश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की एंटी-रैगिंग सेल की एक टीम के ठीक एक दिन बाद आया है।
जेयू का दौरा कर उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय परिसर के भीतर नियमित निगरानी के अलावा, छात्रावास की भी नियमित निगरानी होनी चाहिए।
सोमवार को, यूजीसी टीम ने जे के संकाय और प्रशासनिक कर्मचारियों के साथ एक बैठक की और बैठक में यूजीसी टीम ने कथित तौर पर छात्रों के छात्रावासों में घोर कुप्रबंधन और पर्यवेक्षण की कमी की घटनाओं पर नाराजगी व्यक्त की।
छात्र की मौत के मामले में पुलिस पहले ही 13 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, इसमें विश्वविद्यालय के वर्तमान और पूर्व छात्र शामिल हैं।
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Source : IANS