सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जिसे 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने यह कहते हुए आदेश दिया कि अदालत को खालिद के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के बाद रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों को देखना होगा।
खालिद ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने पिछले साल 18 अक्टूबर को नियमित जमानत की मांग करने वाली खालिद की अपील खारिज कर दी थी।
उन्होंने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसने उन्हें यूएपीए मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था।
नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अमरावती में दिए गए उनके कथित आक्रामक भाषण दंगों के मामले में उनके खिलाफ आरोपों का आधार है।
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Source : IANS