Bengluru Stampede: आरसीबी की विक्ट्री परेड बुधवार को मातम में तब्दील हो गई. यहां पर भारी भीड़ मैदान के बाहर थी. इस बीच भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई. वहीं कई घायल हो गए. इस घटना के बाद से सवाल उठने लगे हैं कि इतने बड़े आयोजन के दौरान सरकार की तैयारी क्या थीं? हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किए हैं कि क्या ऐसी घटना को रोकने के लिए कोई एसओपी नहीं होनी चाहिए. मेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस की व्यवस्था क्या नहीं होनी चाहिए. क्या भगदड़ से निपटने को लेकर किसी तरह की योजना नहीं होनी चाहिए. क्या यहां पर किसी तरह की गाइडलाइन का पालन किया गया. हाईकोर्ट ने सरकार को घटना पर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 10 जून को होनी है.
राज्य सरकार की ओर से एजी शशिकरण शेट्टी ने कहा, 'सरकार हाई कोर्ट के सुझावों का पालन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. हम जनहित याचिका का विरोध नहीं करेंगे. उन्होंने बताया कि आरसीबी ने 3 जून को आईपीएल का फाइनल जीता था. बेंगलुरु पुलिस ने सुरक्षा की तैयारी की थी. करीब 1 हजार 643 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया. पानी के टैंकर और पुलिस समेत कई मौजूद थीं. आपको बता दें कि भगदड़ के दौरान 56 लोग घायल हुए. इस दौरान 5 महिलाओं और 6 पुरुषों की मौत हुई है. कुल 2.5 लाख लोग बेंगलुरु आए.
स्टेडियम के करीब भीड़ मौजूद थी
कोर्ट में राज्य सरकार से कई तरह के सवाल किए गए. हाई कोर्ट ने पूछा, 'जब इतना बड़ा आयोजन हुआ तो पहले क्या तैयारी की थी? इस पर एजी के कहा, सुबह 4 बजे से ही बेंगलुरु के हर कोने से लोग आ रहे थे. सुबह 3 बजे तक चिन्नास्वामी स्टेडियम के करीब भीड़ मौजूद थी. कई राज्यों से लोग यहां पर पहुंचे थे. स्टेडियम की व्यवस्था आरसीबी ने की थी. इस पर हाई कोर्ट ने पूछा कि कार्यक्रम का आयोजन किसने किया. एजी ने कहा कि व्यवस्था आरसीबी और सहयोगी केएससीए ने की थी.
भावुक हो गए डिप्टी सीएम शिवकुमार
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार गुरुवार को उस समय रोने लगे जब उन्होंने बेंगलुरु में हुई दुखद भगदड़ के बाद पहली बार मीडिया से बात की. इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की आईपील जीत के जश्न के वक्त हुई इस घटना को लेकर बात करते हुए शिवकुमार काफी भावुक हो गए. उन्होंने इसे राज्य के लिए दिल तोड़ने वाला क्षण बताया. शिवकुमार के अनुसार,"हमें प्रशासनिक सबक सीखना चाहिए, विपक्ष को लाशों पर राजनीति करने देना चाहिए. मैं बताऊंगा कि उन्होंने कितनी लाशों पर राजनीति की है. लेकिन छोटे बच्चों को देखकर दुख होता है. मैंने उनका दर्द देखा है."