Grreen Hydrogen Mission: भारत में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत हाइड्रोजन से चलने वाली बसों और ट्रकों की पायलट परियोजनाएं शुरू की गई हैं. यह पहल देश में स्वच्छ और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. सरकार ने इस प्रोजेक्ट के जरिए पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता घटाने का लक्ष्य रखा है.
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन क्या है? भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ग्रीन हाइड्रोजन मिशन देश को हरित ऊर्जा स्रोतों की ओर ले जाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना है. इस मिशन के तहत, हाइड्रोजन फ्यूल के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे डीजल और पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी. यह मिशन 2030 तक भारत को हाइड्रोजन उत्पादन में वैश्विक नेता बनाने की रणनीति का हिस्सा है.
कैसे काम करेंगी हाइड्रोजन फ्यूल वाली बसें और ट्रक?
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी: इन वाहनों में हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उपयोग किया जाएगा, जो हाइड्रोजन गैस को बिजली में बदलकर वाहन को ऊर्जा प्रदान करता है.
- जीरो कार्बन एमिशन: इन बसों और ट्रकों से केवल पानी (H₂O) का उत्सर्जन होगा, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी.
- ऊर्जा दक्षता: हाइड्रोजन फ्यूल वाले वाहन लंबी दूरी तय करने में सक्षम होंगे और इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में तेज चार्जिंग सुविधा देंगे.
कहां शुरू हुई पायलट परियोजनाएं?
भारत सरकार ने प्रमुख औद्योगिक और ट्रांसपोर्ट हब में इस परियोजना को लागू किया है. यह परियोजनाएं विभिन्न मेट्रो शहरों और इंडस्ट्रियल जोनों में चलाई जा रही हैं, जहां भारी वाहनों का अधिक उपयोग होता है.
ग्रीन हाइड्रोजन से भारत को क्या फायदा होगा?
- पर्यावरण संरक्षण: कार्बन उत्सर्जन कम होने से वायु प्रदूषण घटेगा.
- ऊर्जा स्वतंत्रता: भारत की आयातित ईंधन पर निर्भरता कम होगी.
- नई नौकरियां: हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और वितरण से नए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
- तकनीकी विकास: भारत को स्वच्छ ऊर्जा टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनने में मदद मिलेगी.
भविष्य की योजनाएं
सरकार ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए हाइड्रोजन इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की योजना बनाई है. आने वाले वर्षों में, हाइड्रोजन फ्यूल स्टेशन की संख्या बढ़ाई जाएगी और इस टेक्नोलॉजी को अन्य परिवहन साधनों में भी लागू किया जाएगा.
भारत में हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले बस और ट्रक लॉन्च होना पर्यावरण अनुकूल परिवहन प्रणाली की ओर एक क्रांतिकारी कदम है. यदि यह पायलट परियोजना सफल होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत में बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन वाहनों का संचालन देखने को मिल सकता है.
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