/newsnation/media/media_files/utDlAex3aJclkkj94nS9.jpg)
ससंद का शीतकालीन सत्र जारी है. केंद्र सरकार ने सत्र के पहले दिन सदन में बताया कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरू, चेन्नई और अमृतसर सहित देश के कई बड़े हवाईअड्डों पर GNSS इंटरफेरेंस और GPS स्पूफिंग की घटनाएं हुईं हैं. इस वजह से सेटेलाइट आधारित नेविगेशन सिस्टम काम करना बंद कर देता है. उड़ान संचालन पर असर इसका असर पड़ सकता है.
कैसे खुद को सुरक्षित रखते हैं विमान?
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने सदन को बताया कि डीजीसीए ने नवंबर 2023 में सभी एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स को निर्देश दिए थे कि ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग आवश्यक है. इस निर्देश के बाद से देशभर से लगातार रिपोर्टें मिल रहीं हैं. उन्होंने कहा कि सेटेलाइट नेविगेशन में जब भी दिक्कत आती है तब भारत में मौजूद न्यूनतम ऑपरेटिंग नेटवर्क फ्लाइट्स को सुरक्षित रूप से संचालित करने में सक्षम है.
On the issue of GPS spoofing at IGI Airport, Union Civil Aviation Minister Ram Mohan Naidu Kinjarapu replied in the House.
— ANI (@ANI) December 1, 2025
He said "Some flights reported GPS spoofing in the vicinity of IGIA, New Delhi while using GPS based landing procedures, while approaching on RWY 10.…
भारत सरकार कैसे इस समस्या से निपटेगी?
सरकार ने सदन में माना कि सेटेलाइट संकेतों में बाधा फ्लाइट्स की सुरक्षा के लिए खतरा है. इसी वजह से विजिलेंस और टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन को मजबूत किया गया. नायडू ने सदन को विश्वास दिलाया कि सभी बड़े एयरपोर्ट्स नियमित रूप से इन मामलों को रिपोर्ट कर रहे हैं, जिससे भविष्य में ऐसी किसी भी समस्या को सुलझाया जा सके.
आखिर क्या होता है जीपीएस स्पूफिंग?
जीपीएस स्पूफिंग एक प्रकार का साइबर हमला होता है. हमलावर इसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजते हैं, जिससे विमान या कोई भी GPS-बेस्ट गैजेट गलत लोकेशन या गलत डेटा दिखाने लगता है. स्पूफिंग की वजह से फ्लाइट के नेविगेशन सिस्टम को गलत अलर्ट, गलत टेरेन वॉर्निंग दी जा सकती है. स्पूफिंग की वजह से फ्लाइट अपना रास्ता भी भटक सकता है.
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
Follow Us