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एक दिसंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने कुल 12 विधेयक सूचीबद्ध किए हैं. इनमें से 10 नए बिल हैं जिन्हें इस सत्र में पेश किया जाएगा. इन विधेयकों का उद्देश्य शासन व्यवस्था, शिक्षा, बीमा क्षेत्र, सड़क विकास और कानून व्यवस्था में बड़े बदलाव लाना है.
सरकार द्वारा सूचीबद्ध किए गए बिल-
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2025
दिवाला एवं शोधन अक्षमता विधेयक (संशोधन) विधेयक 2025
बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2025
मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025
निरसन और संशोधन विधेयक 2022
राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) विधेयक, 2025
परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025
कॉर्पोरेट कानून (संशोधन) विधेयक, 2025
प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक (एसएमसी), 2025
मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक, 2025
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक 2025
संविधान (131वां संशोधन) विधेयक 2025
ये अहम बिल होंगे पास
सबसे महत्वपूर्ण विधेयकों में से एक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने वाला बिल है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश और तकनीकी विकास की संभावना बढ़ेगी. इसके अलावा भारतीय उच्च शिक्षा आयोग बिल भी नए सुधारों के साथ लाया जा रहा है, जिससे शिक्षा प्रणाली को अधिक सक्षम और आधुनिक बनाया जा सकेगा.
बीमा सेक्टर, दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून, प्रतिभूति बाजार, राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए भूमि अधिग्रहण जैसे क्षेत्रों में भी संशोधन प्रस्तावित हैं, ताकि प्रक्रियाओं को सरल और प्रभावी बनाया जा सके.
चंडीगढ़ प्रशासन बदलाव वाले बिल पर विवाद
हालांकि सबसे अधिक विवाद में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक 2025 है. इस बिल में चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत शामिल करने का प्रस्ताव है. इस बदलाव के बाद चंडीगढ़ का प्रशासन उन केंद्रशासित प्रदेशों की तरह संचालित होगा जिनके पास विधानमंडल नहीं है, जैसे लक्षद्वीप, अंडमान निकोबार और दादरा-नगर हवेली. बता दें कि अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को ये अधिकार देता है कि वे ऐसे केंद्रशासित प्रदेशों के लिए कानून बना सकें जहां विधानसभा नहीं है या निलंबित है.
इस बिल का कांग्रेस, अकाली दल और पंजाब के कई राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कदम चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की दिशा में है. इसी मुद्दे को लेकर शीतकालीन सत्र में भारी विरोध और हंगामे की संभावना है.
सत्र से पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है ताकि इस बिल और अन्य विधेयकों पर सहमति बनाई जा सके. यह सत्र कई बड़े निर्णयों, बहसों और राजनीतिक टकरावों का गवाह बनने वाला है.
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