'संचार साथी' ऐप को लेकर सरकार और विपक्ष में तकरार, सिंधिया बोले- हमारा कर्तव्य है कि उपभोक्ताओं की मदद करें

'संचार साथी ऐप' को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच विवाद छिड़ गया है. सरकार ने इसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा और फर्जी IMEI रोकना बताया है. वहीं विपक्ष ने इसे निजता का हनन करार दिया.

'संचार साथी ऐप' को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच विवाद छिड़ गया है. सरकार ने इसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा और फर्जी IMEI रोकना बताया है. वहीं विपक्ष ने इसे निजता का हनन करार दिया.

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Mohit Saxena
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

संचार साथी ऐप को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच विवाद छिड़ चुका है. सरकार ने इस ऐप को सभी नए मोबाइल फोन में प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य किया है. इसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा और फर्जी IMEI रोकना है. आपको बता दें कि सरकार ने नए मोबाइल हैंडसेटों में संचार साथी को अनिवार्य किया है. दूरसंचार मंत्रालय ने इसे अनिवार्य रूप में मोबाइल में रखने को निर्देश दिया है. इसके लिए 90 दिनों का समय भी दिया है. निर्देश में कहा गया है कि भारत आयातित और विनिर्मित में यह ऐप पहले से लगा हो, वहीं जो उपकरण पहले से विनिर्मित हैं और भारत में बिक्रि के चरण में हैं. ऐसे हालात में साफ्टवेयर अपडेट के जरिए इस ऐप को मोबाइल में इंस्टॉल किया जा सकता है. 

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सरकार का क्या हैं तर्क?

सरकार का कहना है कि यह ऐप नागरिकों को नकली हैंडसेट खरीदने से बचाता है. टेलीकॉम संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने  में ये मददगार है. यह ऐप लोगों को अपने नाम पर चल रहे मोबाइल कनेक्शन की जानकारी लेने, खोए या चोरी हुए फोन की रिपोर्ट करने और स्पैम कॉल की शिकायत करने में सहायता करेगा. सरकार का दावा है कि यह ऐप साइबर अपराधों को रोकने में मदद करेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती देगा. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘संचार साथी’ पर कहा, 'जब विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, और विपक्ष मुद्दा ढूंढना चाहता है तो हम उनकी मदद नहीं कर सकते. हमारा कर्तव्य है कि हम उपभोक्ताओं की मदद करें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. संचार साथी एक ऐप और पोर्टल है जिसके आधार पर हर उपभोक्ता अपनी सुरक्षा अपने हाथों से कर पाता है ये जनभागीदारी का एक कदम है लोगों को इसका विरोध नहीं बल्कि स्वागत करना चाहिए. संचार साथी पोर्टल के 20 करोड़ डाउनलोड हैं, और ऐप के 1.5 करोड़ से ज़्यादा डाउनलोड हैं. इसे अपने डिवाइस पर रखना या न रखना यूज़र पर निर्भर करता है... इसे किसी भी अन्य ऐप की तरह मोबाइल फ़ोन से डिलीट किया जा सकता है...'

विपक्ष के क्या हैं आरोप? 

विपक्ष ने इस ऐप को नागरिकों की निजता पर हमला बताया है. इसे "बिग ब्रदर" और "पेगासस" जैसे स्पाईवेयर से जोड़ा है. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह ऐप नागरिकों की हर गतिविधि, बातचीत और निर्णय पर नजर रखने का माध्यम होगा. विपक्ष का आरोप है कि यह ऐप सरकार को नागरिकों की निजता का उल्लंघन करने का अधिकार देता है. यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. इस दौरान कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने अपनी पोस्ट में लिखा कि यह पेगासस का अपडेट वर्जन है. शिव सेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आदेश की तुलना बीग बॉस सर्विलांस मूमेंट से किया. उन्होंने कहा कि सरकार गलत तरह से लोगों के फोन में घुसने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा इस तरह की चुनौतियों का कड़ाई से विरोध किया जाएगा. 

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