किसान नेता डल्लेवाला का विरोध प्रदर्शन 34 वें दिन में पहुंचा, भूख हड़ताल के कारण स्वास्थ्य बिगड़ा

खनौरी सीमा पर प्रदर्शनकारी किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल का विरोध 34 वें दिन में पहुंच चुका है. डिमांड है कि केंद्र कानूनी रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करें.

खनौरी सीमा पर प्रदर्शनकारी किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल का विरोध 34 वें दिन में पहुंच चुका है. डिमांड है कि केंद्र कानूनी रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करें.

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Mohit Saxena
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farmer protest in punjab

farmer protest in punjab (social media)

खनौरी सीमा पर प्रदर्शनकारी किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत दिन पर दिन गिरती जा रही है. किसानों का कहना है कि केंद्र ने उन्हें बलपूर्वक उठाने की कोशिश करती है या नहीं. ये देखना होगा. डल्लेवाला का विरोध 34 वें दिन में प्रवेश कर चुका है. उनकी मांग है कि केंद्र कानूनी रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करे. नेताओं ने रविवार को कहा कि यह केंद्र को तय करना है कि उनके नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हटाने के लिए बल का प्रयोग किया जाए या नहीं, जिनकी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के कारण स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. डल्लेवाल, जिनका विरोध रविवार को 34वें दिन में प्रवेश कर गया, इस बात पर जोर दे रहे हैं कि केंद्र कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत उनकी मांगों पर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत आरंभ करेगी. 

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गांधीवादी तरीके से विरोध को जारी रखा है

किसान नेता अभिमन्यु कोहर के अनुसार, 'हम यह तय करना चाहते हैं कि केंद्र पहले दिन से ही हमारे आंदोलन को बदनाम करने और दबाने के प्रयास में है. उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के "जिद्दी" होने की एक कहानी तैयार की जा रही है. इसके बजाय उन्होंने केंद्र पर किसानों की मांगों पर ध्यान रखते हुए ऐसा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. हम गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाकर अपना आंदोलन जारी रखते हैं. हमारे आंदोलनों ने यह साबित कर दिया है कि सरकार के उत्पीड़न की वजह से इतना कुछ सहने के बावजूद, हमने गांधीवादी तरीके से विरोध को जारी रखा है. 

उन्होंने कहा, “हम इन सिद्धांतों का पालन करने में लगे हुए हैं. अब, यह सरकार और संवैधानिक निकायों पर निर्भर है कि वे डल्लेवाल को बेदखल करने को लेकर बल का  प्रयोग करना चाहते हैं या नहीं.' कोहर का कहना है कि जो भी स्थिति उत्पन्न होगी,  उसके लिए केंद्र और संवैधानिक निकाय जिम्मेदार होंगे. उन्होंने "देश के लोगों" से बड़ी संख्या में खनौरी सीमा पर पहुंचने की अपील की है. उनका दावा है कि उनका आंदोलन "निर्णायक चरण में पहुंच चुका है." 

सुप्रीम कोर्ट डल्लेवाल की सेहत पर क्या बोला 

किसान नेताओं का बयान सामने आया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के निर्देशों को लागू करने में असमर्थता को लेकर पंजाब सरकार की कड़ी आलोचना की है. राज्य सरकार ने इस बात पर जो दिया है कि डल्लेवाल पर चिकित्सा सहायता थोपने से माहौल तनावपूर्ण हो जाएगा.

शीर्ष अदालत का है सुझाव है कि डल्लेवाल पर अन्य किसान नेताओं की ओर से चिकित्सा सहायता न लेने का दबाव हो सकता है. अदालत ने 31 दिसंबर तक का समय देते हुए राज्य को जरूरत पड़ने पर केंद्र के साजो-सामान संबंधी सहयोग लेने पर छूट दी.

 

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