पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है. इस फैसले के बाद सरकार के प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. शक्तिकांत दास की नियुक्ति को केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक माना जा रहा है. उनकी गहरी प्रशासनिक समझ और आर्थिक विशेषज्ञता को देखते हुए यह नियुक्ति की गई है.
शक्तिकांत दास का करियर और अनुभव
शक्तिकांत दास भारतीय रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर रह चुके हैं और उन्होंने देश की मौद्रिक नीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है. इसके अलावा, वे वित्त मंत्रालय में भी विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे हैं.
महत्वपूर्ण पद और जिम्मेदारियां:
- आरबीआई गवर्नर (2018 - 2024): अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने और आर्थिक सुधारों को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
- वित्त मंत्रालय में सचिव: केंद्रीय वित्त मंत्रालय में विभिन्न भूमिकाओं में रहकर उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी जैसी नीतियों को लागू कराने में सहयोग दिया.
- नीति आयोग और अन्य प्रशासनिक भूमिकाएं: सरकार की नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने में उनका अनुभव महत्वपूर्ण रहा है.
- राजकोषीय नीति निर्माण: उन्होंने विभिन्न राजकोषीय सुधारों में भी भागीदारी निभाई, जिससे अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिली.
प्रधान सचिव के रूप में उनकी भूमिका
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में शक्तिकांत दास अब सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन और प्रशासनिक फैसलों में अहम भूमिका निभाएंगे. उनकी आर्थिक विशेषज्ञता और प्रशासनिक अनुभव से प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली को और अधिक प्रभावी बनाने की उम्मीद है.
उनकी नियुक्ति से वित्तीय नीति निर्माण और प्रशासनिक सुधारों में तेजी आएगी. साथ ही, वे सरकार की दीर्घकालिक विकास योजनाओं को अमल में लाने में सहायक होंगे.
नियुक्ति का प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां
उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है. वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे जैसी समस्याओं को देखते हुए, सरकार को एक अनुभवी प्रशासक की जरूरत थी. ऐसे में उनके अनुभव और प्रशासनिक दक्षता से सरकार को नीति निर्माण में सहायता मिलेगी.
इसके अतिरिक्त, डिजिटल भारत, बैंकिंग सुधार, और नए वित्तीय नियमों को लागू करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. उनके नेतृत्व में सरकार की नीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा.
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