केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की महिला उप-निरीक्षक गीता समोटा ने 8,849 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर न केवल एक इतिहास रच दिया दिया, बल्कि अपने साहस से सपनों की जीत भी हासिल की है. गीता समोटा की जीत हर भारतीय को गौरवान्वित करने वाली है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीता समोटा का राजस्थान के सीकर जिले के चक नामक गांव में हुआ था. गीता 2011 में सीआईएसएफ में शामिल हुईं थी. हालांकि उस समय सीआईएसएफ में पर्वतारोहण से ज्यादा लोग परिचित नहीं थे, लेकिन गीता ने इसे अपने लिए एक अवसर के रूप में देखा.
गीता अपने बैच में अकेली महिला थीं
साल 2015 में गीता समोटा को औली के भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स करने का मौका मिला. गीता अपने बैच में अकेली महिला थीं. गीता ने 2017 में अपना कोर्स पूरा किया और ऐसा करने वाली बल की पहली कर्मचारी बनीं. लेकिन गीता की मेहनत ने शोर तब मचाया जब 2019 में उत्तराखंड की माउंट सतोपंध (7,075 मीटर) और नेपाल की माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर उन्होंने चढ़ाई की और ऐसा करने वाली सीआईएसएफ की पहली महिला बन गईं. लेकिन गीता ने तो कुछ और ही ठान रखा था. गीता की मंजिल कुछ और नहीं बल्कि माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने की थी. लेकिन 2021 में उनका यह अभियान तकनीकी कारणों से कैंसिल हो गया.
कोरोना महामारी के बीच भी गीता ने हिम्मत नहीं हारी
वहीं, कोरोना महामारी के बीच भी गीता ने हिम्मत नहीं हारी और 2021 और 2022 के बीच उन्होंने चार बड़ी चोटियों पर चढ़ाई की. इन चोटियों में ऑस्ट्रेलिया कोसियस्जको (2,228 मीटर), रूस की माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर), तंजानिया की माउंट किलिमंजारो (5,895) और अर्जेंटीना की माउंट एकॉनकागुआ (6,961 मीटर) शामिल हैं. दिल्ली महिला आयोग ने 2023 ने गीता को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार से नवाजा. इस दौरान सीआईएसएफ ने भी ट्रेनिंग से लेकर आर्थिक मदद तक गीता का पूरा सहयोग किया.