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इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल पर सरकार ने क्या कहा? Photograph: (META AI)
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) को लेकर देशभर में चल रही आलोचनाओं के बीच केंद्र सरकार ने साफ किया है कि यह फैसला केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि पर्यावरण, किसानों और ऊर्जा सुरक्षा तीनों के लिए लाभकारी कदम है.
एक नहीं कई होंगे फायदे
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा कि E20 पेट्रोल (जिसमें 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल का मिश्रण होता है) का उद्देश्य देश में प्रदूषण को कम करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और विदेशी तेल आयात पर निर्भरता घटाना है. मंत्रालय के अनुसार, यह बदलाव भारत को 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर तेजी से ले जाएगा.
माइलेज विवाद पर जवाब
हाल ही में कई वाहन मालिकों ने शिकायत की थी कि E20 पेट्रोल के इस्तेमाल से माइलेज कम हुआ है और पुराने इंजनों के कुछ पार्ट्स खराब हो रहे हैं. इस पर मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 2020 में ही संभावित माइलेज पर असर का अनुमान लगाया जा चुका था, और पाया गया था कि इसका प्रभाव ज्यादातर मामलों में बहुत मामूली है. साथ ही, मंत्रालय ने यह भी कहा कि माइलेज केवल ईंधन की गुणवत्ता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि ड्राइविंग स्टाइल, गाड़ी की सर्विसिंग, टायर प्रेशर और एयर कंडीशनर के इस्तेमाल जैसे कई कारकों से प्रभावित होता है.
पुराने वाहनों पर असर
सरकार का कहना है कि 2009 के बाद से निर्मित अधिकांश वाहन E20 पेट्रोल के अनुकूल बनाए गए हैं. जहां तक पुराने इंजनों की बात है, उनके लिए उपयुक्त तकनीकी बदलाव और सर्विसिंग के जरिए इस समस्या का समाधान संभव है.
मंत्रालय ने गिनाए फायदे
- प्रदूषण में कमी: एथनॉल जलने पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करता है, जिससे वायु गुणवत्ता बेहतर होती है.
- किसानों की आय में बढ़ोतरी: एथनॉल गन्ना, मक्का जैसे फसलों से तैयार होता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त बाजार और आय का स्रोत मिलता है.
- विदेशी तेल पर निर्भरता घटाना: एथनॉल का घरेलू उत्पादन आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम करता है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है.
- बेहतर इंजन परफॉर्मेंस: मंत्रालय का दावा है कि E20 पेट्रोल से पिकअप और राइड क्वालिटी में सुधार होता है.
सरकार का मानना है कि यह पहल भारत की लांग टर्म एनर्जी नीति और पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं के लिए एक मजबूत कदम है. हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि इस बदलाव के साथ जनजागरूकता और तकनीकी सुधार दोनों ही जरूरी होंगे, ताकि उपभोक्ता बिना किसी असुविधा के इसका लाभ उठा सकें.
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