भारत आने वाले पांच वर्षों में वैश्विक आर्थिक वृद्धि का प्रमुख स्तंभ बन सकता है. ये दावा 2.2 बिलियन डॉलर की संपत्ति को मैनेज करने वाली मल्टी फैमिली और प्राइवेट वेल्थ ऑफिस इक्विरस की नई रिपोर्ट में हुआ है. इक्विरस की रिपोर्ट का शीर्षक- भारत जी7 से आगे निकल जाएगा, क्या घरेलू लचीलापन वैश्विक अस्थिरता से आगे निकल सकता है. 2025 में संपत्ति, परिसंपत्ति आवंटन और बाजार रणनीति को समझना.
भारत कई विकसित इकोनॉमी की तुलना में अच्छी स्थिति में
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 से 2030 के बीच भारत वैश्विक वृद्धिशील जीडीपी में 15 प्रतिशत से अधिक योगादान देगा. ये जापान, जर्मनी सहित जी7 देशों के अनुमानित योगदान से ज्यादा है. इक्विरस क्रेडेंस फैमिली ऑफिस के सीईओ मितेश शाह का इस रिपोर्ट को लेकर कहना है कि संरचनात्मक रूप से भारत कई विकसित इकोनॉमी की तुलना में अच्छी स्थिति में है. बदलते वैश्विक मैक्रो वातावरण में पारंपरिक 60/40 पोर्टफोलियो मॉडल अब पर्याप्त नहीं रह गया है.
ग्रामीण भारत में एफएमसीजी की मांग में बढ़त
घरेलू मांग से जुड़े कई संकेतकों के बारे में रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है. ग्रामीण भारत में एफएमसीजी की मांग में छह प्रतिशत की बढ़त देखी गई है. शहरी इलाकों में ये बढ़त महज 2.8 प्रतिशत रही. पिछले दशक में ग्रामीण और शहरी परिवारों का खर्च 84 प्रतिशत से घटकर 70 प्रतिशत रह गया है. केंद्र और राज्य सरकारों में पूंजीगत व्यय में 17.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. 2.5 लाख करोड़ की तरलता के जरिए समर्थन मिल रहा है.
रिपोर्ट ने पारंपरिक निवेश रणनीति की आलोचना की है. उन्होंने बताया कि 2022 में S&P 500 में 18.1 प्रतिशत और अमेरिकी बॉन्ड में 13 प्रतिशत की गिरावट आई है. रिपोर्ट में इसे 1937 के बाद से सबसे खराब संयुक्त प्रदर्शन था.
आपूर्ति श्रृंख्ला में बदलाव का संकेत
वैश्विक स्तर पर डॉलर इंडेक्स में गिरावट और कच्चे तेल की स्थिर कीमतों ने भारत के आयात बिल पर दबाव कम किया है. एप्पल जैसी कंपनियों का चीन से भारत में निर्माण स्थानांतरित करना, आपूर्ति श्रृंख्ला में बदलाव का संकेत देता है. रिपोर्ट से साफ होता है कि भारत में निवेश बढ़ रहा है.