चुनाव आयोग ने इंडेक्स कार्ड और सांख्यिकीय रिपोर्ट को किया डिजिटल, जानें क्या होगा फायदा

Election Commission: चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चुनाव के बाद तैयार की जाने वाली इंडेक्स कार्ड और सांख्यिकीय रिपोर्टों की प्रक्रिया को पूरी तरह से तकनीकी और ऑटोमेटेड बना दिया है।

Election Commission: चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चुनाव के बाद तैयार की जाने वाली इंडेक्स कार्ड और सांख्यिकीय रिपोर्टों की प्रक्रिया को पूरी तरह से तकनीकी और ऑटोमेटेड बना दिया है।

Mohit Dubey & Dheeraj Sharma
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Election Commission Digigal

Election Commission: चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चुनाव के बाद तैयार की जाने वाली इंडेक्स कार्ड और सांख्यिकीय रिपोर्टों की प्रक्रिया को पूरी तरह से तकनीकी और ऑटोमेटेड बना दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के नेतृत्व में बदलाव लागू किया गया है। जो रिपोर्टिंग की पारंपरिक मैन्युअल प्रणाली की जगह लेगा।

क्या होगा फायदा

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इस नई प्रणाली के तहत अब चुनाव से जुड़े आंकड़े तेजी से एकत्रित और साझा किए जाएंगे। पहले भौतिक इंडेक्स कार्ड भरने और फिर मैन्युअल रूप से ऑनलाइन एंट्री करने की बहु-स्तरीय प्रक्रिया अपनाई जाती थी। जिससे रिपोर्टों में देरी होती थी। अब डेटा इंटीग्रेशन और ऑटोमेशन की मदद से रिपोर्टिंग कहीं अधिक तीव्र, सटीक और विश्वसनीय हो गई है।

 क्या है इंडेक्स कार्ड? 

इंडेक्स कार्ड एक गैर-वैधानिक सांख्यिकीय रिपोर्टिंग प्रारूप है, जिसे चुनाव आयोग ने अपनी पहल पर विकसित किया है। इसका उद्देश्य चुनावी आंकड़ों को शोधकर्ताओं, पत्रकारों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और आम नागरिकों के लिए सरल, सुलभ और उपयोगी बनाना है।

यह कार्ड उम्मीदवारों, मतदाताओं, मतदान आंकड़ों, पार्टी-वार प्रदर्शन, लिंग-आधारित मतदान रुझानों, और क्षेत्रीय मतभेदों जैसे कई आयामों में जानकारी पेश करता है।

रिपोर्टों का दायरा 

इंडेक्स कार्ड के आधार पर लोकसभा चुनाव के लिए करीब 35 और विधानसभा चुनावों के लिए 14 प्रकार की सांख्यिकीय रिपोर्टें तैयार की जाती हैं। इनमें राज्य, संसदीय क्षेत्र, विधानसभा क्षेत्र-वार मतदाता विवरण, मतदान केंद्रों की संख्या, मतदान प्रतिशत, महिला भागीदारी, विजयी उम्मीदवारों का विश्लेषण, पार्टी प्रदर्शन, और विस्तृत परिणाम शामिल होते हैं।

केवल शोध और अध्ययन के लिए 

चुनाव आयोग ने ये साफ किया है कि ये रिपोर्टें केवल शैक्षणिक और शोध कार्यों के लिए हैं। इनमें शामिल आंकड़े द्वितीयक डेटा पर आधारित होते हैं। जबकि वैधानिक और अंतिम जानकारी संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा बनाए गए आधिकारिक दस्तावेजों में रहती है।

डिजिटल ट्रांज़िशन से लोकतांत्रिक संवाद को बढ़ावा 

इस नई तकनीकी व्यवस्था से चुनावी आंकड़ों की पारदर्शिता, गति और सुलभता में क्रांतिकारी सुधार आया है। इससे न सिर्फ चुनावी शोध को बढ़ावा मिलेगा। बल्कि एक मजबूत और सूचित लोकतांत्रिक विमर्श को भी नई दिशा मिलेगी।

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