प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कैश फॉर जॉब मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है।
ईडी ने बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी ने कहा है कि जांच के दौरान पता चला कि सलेम बाईपास रोड, अंडानकोविल, करूर में स्थित 2.49 एकड़ जमीन का एक बड़ा हिस्सा पी. लक्ष्मी (मामले में कथति आरोपी आर.वी. अशोक बालाजी की सास) द्वारा अनुराधा रमेश से मात्र 10 लाख रुपये में खरीदा गया था जबकि जमीन की वास्तविक कीमत 30 करोड़ रुपये से अधिक है।
हालाँकि, पी लक्ष्मी के आय स्रोत की जाँच करते समय, पता चला कि उनके पास आय का कोई विश्वसनीय स्रोत नहीं था और उन्होंने जमीन खरीदने के लिए 10 लाख रुपये जुटाने के लिए पुराने गहने बेचने का दावा किया था जो बाद में फर्जी निकला।
बाद में उन्होंने यह जमीन अपनी बेटी निर्मला को उपहार में दे दिया जो सेंथिल बालाजी के भाई अशोक कुमार की पत्नी हैं।
आगे की जांच करने पर, यह खुलासा हुआ कि भूमि अधिग्रहण के लिए आवश्यक शेष राशि अनुराधा रमेश को नकद में भुगतान की गई थी।
बदले में, इस नकदी को अनुराधा रमेश ने उसी आसपास जमीन का एक और टुकड़ा खरीदने के लिए इस्तेमाल किया था।
इन घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, उक्त संपत्ति को धन शोधन अधिनियम की धारा 17(1-ए) के अनुसार फ्रीज ऑर्डर के तहत रखा गया है।
ईडी ने नौकरी के नकदी घोटाले में वी. सेंथिल बालाजी को मुख्य आरोपी बनाते हुए केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी), चेन्नई द्वारा दर्ज तीन एफआईआर और दायर आरोप पत्र के आधार पर जांच शुरू की।
वी. सेंथिल बालाजी ने अपने भाई आर.वी. अशोक कुमार और अपने निजी सहायकों बी. षणमुगम् और एम. कार्तिकेयन के साथ मिलकर नकदी के बदले नौकरियां दीं। इसके चलते योग्य उम्मीदवार नौकरी से वंचित रह गये।
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Source : IANS