निर्वाचन आयोग (ईसी) ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की मांग को लेकर बड़ा दिलचस्प जवाब दिया है. राहुल गांधी ने पूरे देश की मतदाता सूची को डिजिटल स्वरूप में प्रदान करने और सीसीटीवी फुटेज देने की बात कही थी. आयोग ने शुक्रवार को कहा, “एक लाख पोलिंग बूथ की सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा यानी देखने में एक लाख दिन यानि 273 साल लग जाएगा. इसका कोई कानूनी परिणाम संभव नहीं है. कोई भी अगर चुनाव के खिलाफ याचिका दाखिल करता है तो सीसीटीवी फुटेज रखी जाती है. नहीं तो उसे रखने का कोई मतलब नहीं है.”
वीडियो सबूत मिटाए जा सकते हैं
दरअसल, राहुल गांधी ने आरोप और सवाल खड़े किए थे कि पोलिंग बूथ के सीसीटीवी और वीडियो सबूत को मिटाया जा सकता है. उन्होंने पूछा, “विपक्ष को डिजिटल मतदाता सूची नहीं मिल रही? सीसीटीवी और वीडियो सबूत मिटाए जा सकते हैं. ऐसा क्यों और किसके कहने पर हो रहा है? फर्जी मतदान और मतदाता सूची में गड़बड़ी क्यों की गई? विपक्षी नेताओं को क्यों डराया, ऐसा धमकाया जा रहा है? साफ-साफ बताओ कि क्या चुनाव आयोग अब भाजपा का एजेंट बन चुका है?”
उन्होंने दावा किया था कि यदि इलेक्ट्रॉनिक डेटा मिल जाए तो वह यह साबित कर देंगे कि पीएम वोट की चोरी करके इस पर आए हैं. राहुल गांधी ने यह दोहराया कि सिर्फ 25 सीटों के कारण आज नरेन्द्र मोदी पीएम के पद पर आसीन हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, “लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव हुआ. लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में हमारा गठबंधन जीता लेकिन छह माह बाद आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए.” उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सिर्फ पांच माह के अंदर एक करोड़ नए मतदाताओं ने वोट दिया. इन सभी ने भाजपा को वोट दिया.
मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज मांगे गए
कांग्रेस नेता का कहना है कि चुनाव आयोग से डिजिटल मतदाता सूची और मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज मांगे गए. उसने इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची का अध्ययन किया गया. राहुल गांधी ने कहा, ‘यह साबित हो गया कि लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में भाजपा ने मत की चोरी की है.’ उन्होंने दावा किया कि महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के विश्लेषण से स्पष्ट हो गया है. हर छह वोट में से एक वोट की चोरी की गई है.