/newsnation/media/media_files/2025/09/25/drdo-agni-p-missile-successful-testing-from-rail-2025-09-25-11-01-30.jpg)
Agni-P Testing (DRDO)
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने सामरिक बल कमान (SFC) के सहयोग से 24 सितम्बर 2025 को रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर सिस्टम से मध्यम दूरी की ‘अग्नि-प्राइम’ (Agni-P) मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया. यह अगली पीढ़ी की मिसाइल 2000 किमी तक की मारक क्षमता रखती है और अत्याधुनिक तकनीकी विशेषताओं से लैस है.
रेल आधारित लॉन्च सिस्टम की खासियत
यह पहला अवसर है जब विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर से मिसाइल दागी गई. यह लॉन्चर बिना किसी पूर्व शर्त के पूरे रेल नेटवर्क पर गतिशील रह सकता है. इसमें क्रॉस-कंट्री मोबिलिटी, कम समय में लॉन्च और कम विजिबिलिटी के साथ प्रहार क्षमता मौजूद है. यह पूर्णतः स्वायत्त है और इसमें अत्याधुनिक संचार प्रणाली, स्वतंत्र लॉन्च क्षमताएँ तथा उन्नत सुरक्षा तंत्र शामिल हैं.
मिसाइल की प्रहार क्षमता
‘अग्नि-प्राइम’ मिसाइल कैनिस्टराइज्ड, दो-स्तरीय और ठोस ईंधन आधारित है, जो इसे तेजी से लॉन्च करने में सक्षम बनाती है. इसमें रिंग लेजर जिरोस्कोप आधारित इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और उपग्रह मार्गदर्शन प्रणाली लगी है, जिससे यह लक्ष्य पर सटीक प्रहार करने में सक्षम है. यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु वारहेड दोनों ले जाने की क्षमता रखती है, जिससे भारत की स्ट्रैटेजिक डिटरेंस और अधिक मजबूत होती है.
परीक्षण और उपलब्धि
मिसाइल की ट्रैजेक्टरी को विभिन्न ग्राउंड स्टेशनों से ट्रैक किया गया और यह परीक्षण पाठ्यपुस्तक की तरह सफल रहा. इस उपलब्धि से भविष्य में रेल आधारित मिसाइल प्रणालियों को सेवाओं में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा. लॉन्च के समय DRDO के वरिष्ठ वैज्ञानिक और SFC के अधिकारी उपस्थित थे.
इसकी पृष्ठभूमि जानिए
इससे पहले सड़क आधारित ‘अग्नि-पी’ मिसाइल कई सफल परीक्षणों के बाद सेवाओं में शामिल की जा चुकी है. रेल आधारित अग्नि-प्राइम का परीक्षण भारत की मिसाइल प्रणाली को और अधिक लचीला व अप्रत्याशित बनाने की दिशा में बड़ा कदम है.
रक्षा मंत्री और DRDO प्रमुख की प्रतिक्रिया
रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षण पर DRDO, SFC और सशस्त्र बलों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह उड़ान परीक्षण भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करता है जिन्होंने रेल नेटवर्क से कैनिस्टर आधारित लॉन्च प्रणाली विकसित की है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और DRDO प्रमुख ने भी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर सभी वैज्ञानिकों और तकनीकी टीमों को बधाई दी.