अमेरिका के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है 'टैरिफ प्लान', अर्थव्यव्स्था को चुकानी होगी भारी कीमत!

ऐसा पहली बार नहीं है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे देशों पर टैरिफ लगाया हो. इससे पहले भी ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-20) में  उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम पर 25 और 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया था.

ऐसा पहली बार नहीं है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे देशों पर टैरिफ लगाया हो. इससे पहले भी ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-20) में  उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम पर 25 और 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया था.

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Mohit Sharma
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Donald Trump Tariff plan

Donald Trump Tariff plan Photograph: (AI)

अमेरिका ने भारत समेत दुनिया के कई देशों पर अलग-अलग टैरिफ लगा दिए हैं. अमेरिका की तरफ से लगाए के टैरिफ का कई देशों पर बड़ा असर पड़ेगा. लेकिन खुद अमेरिका भी इसके दुष्प्रभावों से अछूता नहीं रह पाएगा. डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का असर अमेरिका की अर्थ व्यवस्था पर भी व्यापक रूप से पड़ेगा.  एक रिसर्च के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ का असर इंडिया से ज्यादा अमेरिका पर पड़ेगा. 

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क्या होता टैरिफ

टैरिफ एक तरह का टैक्स होता है, जो सरकार आयात होने वाले सामान और सेवाओं पर लगाती है. मतलब,  भारत  से अमेरिका के अंदर जो सामान जा रहा है, डोनाल्ड ट्रंप अब उस पर टैरिफ लगाएंगे. ताकि अमेरिकी की खुद की कंपनियों को सुरक्षित किया जाए. ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका की दूसरे देशों से आयात होने वाले सामान पर निर्भरता कम हो. ट्रंप की इस योजना के पीछे आत्मनिर्भर अमेरिका को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही ट्रंप दूसरे देशों पर जो टैरिफ लगा रहा है, उससे अमेरिकी सरकार का अच्छा खासा राजस्व मिलेगा.

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पिछले कार्यकाल में भी टैरिफ लगा चुके ट्रंप

ऐसा पहली बार नहीं है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे देशों पर टैरिफ लगाया हो. इससे पहले भी ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-20) में  उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम पर 25 और 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया था. तब अमेरिका ने चीन के 360 बिलियन डॉलर के सामान पर टैरिफ लगाया था. दोबारा सत्ता  में आते ही ट्रंप ने फिर से टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है. लेकिन इस बार जिस तरह से टैरिफ लगाए जा रहे हैं, वो वास्तव में ज्यादा खतरनाक है. इस बार ट्रंप सभी देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं. यहां तक कि डील के नाम पर भी अमेरिका की तरफ से टैरिफ लगाए जा रहे हैं. पाकिस्तान के साथ ट्रेड डील के बावजूद भी उस पर 19 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है. इजरायल के ऊपर 15 प्रतिशत, कनाडा के ऊपर 35 प्रतिशत, भारत के ऊपर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया  है. ट्रंप के इस कदम के पीछे उन सभी देशों पर टैरिफ लगाना है, जो अमेरिका से साथ ट्रेड सरप्लस में हैं. 

अमेरिका को कैसे होगा नुकसान

दरअसल,  अमेरिका में दूसरे देशों से आने वाला सामान अब टैरिफ लगने से महंगा हो जाएगा. उदाहरण के तौर पर देखें तो भारत से आयात होने वाले सामान पर अमेरिका ने 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है. इसके साथ ही रूस से व्यापार करने पर जुर्माना भी देना होगा.  अगर जुर्माना भी 25 प्रतिशत लगाया जाता है तो कुल टैक्स 50 प्रतिशत बनता है. ऐसे में अगर भारत का कोई सामान अमेरिका में 1,000 रुपए बिकता है. तो अब वो 50 प्रतिशत टैक्स के बाद 15,00 रुपए में मिलेगा. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है दूसरे देशों पर टैरिफ लगाने का खामियाजा खुद अमेरिका को भी भुगतना होगा. 

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अमेरिकी मैन्युफैक्चर व्यापार को भी घाटा

इससे अमेरिकी मैन्युफैक्चर व्यापार को भी घाटा है. क्योंकि अमेरिका में ऐसी बहुत सारी कंपनी हैं, जो बाहरी उपकरणों और सामान पर निर्भर है. उदाहरण के तौर पर सेमीकंडक्टर, ऑटो पार्ट्स  और दूसरा कच्चा सामान अमेरिका में बाहर से आता है. ऐसे में टैरिफ के बाद अगर दूसरे देशों से आयात होने वाला सामान अमेरिकी कंपनियों के महंगा मिलेगा (टैरिफ के बाद) तो प्रोडक्ट्स की कोस्ट बढ़ेगी. प्रोडक्ट्स की कोस्ट बढ़ेगी तो जाहिर से बात है कि कंज्यूमर को सामान महंगा खरीदना पड़ेगा और इस तरह से महंगाई को बढ़त मिलेगी. महंगाई के चलते लोगों की परचेस वैल्यू घटेगी. इससे बिक्री कम होगी.  बिक्री कम होगी तो कोस्ट कटिंग होगी और लोगों की नौकरियां जाएंगी. एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में स्टील पर टैरिफ लगाने के कारण अमेरिका में 60 से 65 लाख नौकरियां चल गई थी. 

दूसरे देशों ने लगाया रिटर्न टैरिफ तो होगा बड़ा नुकसान

जिस तरह से अमेरिका की तरफ से दूसरे देशों पर अंधाधुंध टैरिफ लगाए जा रहे हैं. ऐसे में हो सकता है कि ये देश भी जवाबी कार्रवाई के तौर पर अमेरिका पर रिटर्न टैरिफ लगा दें. मान लो अगर दूसरे देश पर अमेरिका पर टैरिफ लगाते हैं तो उसका निर्यात कम हो जाएगा, जिसका सीधा असर अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेगा और उनको घाटा उठाना पड़ेगा. एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने अमेरिका पर 2019 में टैरिफ लगाया था, जिसके बाद अमेरिका से आयात होने वाले सोयाबीन, पोर्क और कोर्न का एक्सपोर्ट 50 प्रतिशत तक गिर गया है. इसका असर यह हुआ था कि अमेरिका को अपने किसानों के लिए 28 बिलियन डॉलर की सब्सिडी की ऐलान करना पड़ा था. 

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ग्लोबल सप्लाई चेन हो जाएगी ध्वस्त

दरअसल,  कोई भी देश अपने आप में सक्षम नहीं है. हर देश किसी न किसी सामान के लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर है. क्योंकि अमेरिका जैसे बाजार में लेबर कोस्ट बहुत ज्यादा है. ऐसे में अमेरिका चाहे भी तो सारा सामान अपने यहां मैन्युफैक्चर नहीं करा सकता है. ऐसे में भारत जैसे लो लेबर कोस्ट वाले देश अपना उत्पाद सस्ते में निर्यात करते हैं, जिसका फायदा अमेरिका के उपभोक्ताओं को होता है. अमेरिका की इस पॉलिसी की एक प्रभाव यह भी हो सकता है कि दूसरे देश उससे किनारा करने लगें.  इस क्रम में कुछ देश आपस में द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध बना लेंगे, जिससे अमेरिका को नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

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