DMK नेता सेंथिल बालाजी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की SC में हुई सुनवाई, इस्तीफे पर भी शीर्ष अदालत ने लिया संज्ञान

Senthil Balaji: डीएमके नेता और तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

Senthil Balaji: डीएमके नेता और तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

Mohit Bakshi & Suhel Khan
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SC on senthil balaji

सेंथिल बालाजी मामले की एससी में हुई सुनवाई

Senthil Balaji: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को डीएमके नेता वी सेंथिल बालाजी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई की. महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, बालाजी ने 27 अप्रैल (रविवार) को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ए.जी. मसीह की विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए बालाजी के इस्तीफे पर विचार किया. बालाजी के तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को उनके इस्तीफे की जानकारी दी और राज्यपाल द्वारा स्वीकृत पत्र प्रस्तुत किया.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जताई ये चिंता

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वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से एससी में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बालाजी का इस्तीफा मुकदमे के समापन तक स्थायी होना चाहिए. उन्होंने आशंका जताई कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो बालाजी जेल से बाहर आने के बाद फिर से सत्ता में लौट सकते हैं, जिससे मामले की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है. मेहता ने बालाजी के पूर्व के जेल में रहते हुए भी प्रभाव बनाए रखने के उदाहरणों का हवाला दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप की कही बात

पीठ ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि बालाजी के इस्तीफे के बाद इस याचिका पर आगे विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है. हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि मामला जांच के दायरे में रहेगा और आवश्यकता पड़ने पर आगे भी हस्तक्षेप किया जा सकता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है.

जानें क्या है पूरा मामला?

दरअसल, तमिलनाडु के करूर से डीएमके विधायक बालाजी को 14 जून 2023 को 'नौकरी के लिए नकदी घोटाले' से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. बालाजी पिछले सरकार में परिवहन मंत्री थे. प्रवर्तन निदेशालय ने बाजाली पर आरोप लगाया है कि 2011 से 2015 के बीच जब वह अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे तब राज्य परिवहन विभाग में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था. इसी के साथ कोर्ट ने उनकी जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका का भी निपटारा कर दिया.

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