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सीधी उड़ानें शुरू होंगी Photograph: (Freepik)
भारत ने घोषणा की है कि अक्टूबर 2025 के अंत तक चीन के साथ सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू हो जाएंगी. यह फैसला दोनों देशों के बीच 2020 के बाद पहली बार उड़ानें बहाल करने का रास्ता खोलेगा. कोविड महामारी के दौरान बंद हुई सेवाएं अब तक चालू नहीं हो पाई थीं.
नई एयर सर्विसेज एग्रीमेंट को दिया गया अंतिम रूप
विदेश मंत्रालय (MEA) ने बताया कि भारत और चीन के नागरिक उड्डयन अधिकारियों के बीच इस साल की शुरुआत से ही तकनीकी स्तर पर चर्चा चल रही थी. इन चर्चाओं का नतीजा है कि नई एयर सर्विसेज एग्रीमेंट को अंतिम रूप दिया गया और अब सर्दियों के शेड्यूल के हिसाब से उड़ानें बहाल करने पर सहमति बन गई है. हालांकि, अंतिम निर्णय दोनों देशों की एयरलाइंस की कारोबारी रणनीति और ऑपरेशनल तैयारियों पर निर्भर करेगा.
SCO समिट में हुई थी चर्चा
मंत्रालय ने कहा कि इस फैसले से भारत और चीन के बीच लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा मिलेगा और धीरे-धीरे द्विपक्षीय संबंध सामान्य होने की दिशा में योगदान होगा. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी. उस बैठक में दोनों नेताओं ने रिश्तों को स्थिर करने के तरीकों पर चर्चा की थी.
कब से उड़ानें रद्द हैं?
गौरतलब है कि 2020 की शुरुआत में कोविड महामारी के चलते भारत-चीन उड़ानें रोक दी गई थीं. इसके बाद जून 2020 में गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष ने रिश्तों को दशकों के सबसे निचले स्तर पर ला दिया. इसी वजह से उड़ानें कभी दोबारा शुरू नहीं हो पाईं और केवल सीमित संख्या में नागरिकों की वापसी के लिए विशेष उड़ानें चलाई गईं.
दोनों देशों के बीच सुधर रहे हैं रिश्ते
हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के संकेत मिलने लगे हैंय. पिछले महीने भारत ने चीनी नागरिकों को वीजा देना फिर शुरू किया, वहीं चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं के लिए कैलाश-मानसरोवर यात्रा की अनुमति बहाल की. अब सीधी उड़ानों की वापसी छात्रों, कारोबारियों और परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगी, जिन्हें पिछले पांच सालों से लंबी और महंगी ट्रांज़िट उड़ानों पर निर्भर रहना पड़ रहा था.
सीधी हवाई सेवाओं की बहाली को विशेषज्ञ भारत-चीन संबंधों में धीरे-धीरे आती नई गर्माहट का प्रतीक मान रहे हैं. आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या यह कदम दोनों देशों के बीच भरोसा बहाल करने में नई भूमिका निभा पाएगा.
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