/newsnation/media/media_files/2025/10/21/delhi-air-pollution-2025-10-21-16-10-16.jpg)
दिल्ली वायु प्रदूषण Photograph: (ANI)
दिवाली के बाद दिल्ली की हवा फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. स्विस एजेंसी IQAir के अनुसार मंगलवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता दुनिया में सबसे खराब रही. इसका बड़ा कारण दिवाली पर पटाखों का जलाया जाना है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बार कुछ शर्तों के साथ ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी. वह भी सिर्फ रविवार और सोमवार को तीन घंटे के लिए लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और रही. रॉयटर्स के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तय समय के बाहर भी पटाखे जलते देखे गए. ग्रीन पटाखों से सामान्य पटाखों की तुलना में 30 से 50 प्रतिशत कम प्रदूषण होता है, लेकिन इसके बावजूद हवा की स्थिति चिंताजनक है.
सूक्ष्म कण करते हैं सीधे अटैक
IQAir के मुताबिक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मंगलवार को 442 पर पहुंच गया, जो बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है. पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अनुशंसित सीमा से 59 गुना अधिक रहा. पीएम 2.5 ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और दिल व फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं. भारत के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने भी दिल्ली की हवा को बहुत खराब श्रेणी में रखा है, जहां AQI 350 दर्ज किया गया. CPCB के अनुसार AQI का 0-50 स्तर ही अच्छा माना जाता है.
आने वाले दिनों में राहत की उम्मीद नहीं
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ दिनों में भी दिल्ली की हवा बहुत खराब से खराब श्रेणी (AQI 201 से 400) में बनी रहेगी. हर साल सर्दियों में दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में भारी स्मॉग छा जाता है. ठंडी और भारी हवा के कारण धूल, वाहन धुआं और पराली जलाने से पैदा हुआ धुआं वातावरण में फंस जाता है, जिससे 2 करोड़ की आबादी वाले इस शहर में सांस की बीमारियां बढ़ जाती हैं. पिछले वर्षों में सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए स्कूल बंद किए हैं, निर्माण कार्य पर रोक लगाई है और निजी वाहनों पर प्रतिबंध तक लगाए हैं.
ये भी पढ़ें- पाकिस्तान: खैबर पख्तूनख्वा में पोलियो का कहर जारी, 12 माह के बच्चे में मिला वायरस