Delhi Blast: 5 बड़े खुलासे! Wolf Hour में एक्टिव होते थे आरोपी, WhatsApp ग्रुप में कोड लैंग्वेज में इस तरह होती थी बातचीत

Delhi Blast: दिल्ली धमाके के मामले में लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं. अब जांच एजेंसियों ने इस मामले में और पांच बड़े खुलासे किए हैं. जांच में सामने आया है कि डॉ. शाहीन एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए बात करती थी. जिसमें कई आतंकी जुड़े हुए थे.

Delhi Blast: दिल्ली धमाके के मामले में लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं. अब जांच एजेंसियों ने इस मामले में और पांच बड़े खुलासे किए हैं. जांच में सामने आया है कि डॉ. शाहीन एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए बात करती थी. जिसमें कई आतंकी जुड़े हुए थे.

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Suhel Khan
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Delhi Red Fort Blast Dr Shaheen NIA

दिल्ली ब्लास्ट में पांच बड़े खुलासे Photograph: (Social Media)

Delhi Red Fort Blast Case: दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार धमाके में हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. ऐसे में जांच एजेंसियों ने डॉ. शाहीन सईद और परवेज के मामले में बड़ा खुलासा किया है. इस आतंकी वारदात से जुड़े शाहीन, परवेज और अन्य आरोपी वॉल्फ आवर (Wolf hour) में  सक्रिय होते थे. इस दौरान आरोपी अपनी बातचीत और आतंकी गतिविधियों पर काम करते थे. जिसके लिए वे कोड वर्ड में बात करते थे.

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Wolf hour एक्टिव होते थे आतंकी

दिल्ली धमाके से जुड़े आतंकी डॉ. शाहीन और परवेज को लेकर जांच एजेंसियों ने कई बड़े खुलासे किए हैं. जांच एजेंसियों का कहना है कि आतंकी वॉल्फ आवर में एक्टिव होते थे. सभी आतंकी आपस में रात 11 बजे से रात 2 बजे के बीच आतंकी गतिविधियों से जुड़ी बातें करते थे. ये बात कोड वर्ड में होती थी. इस चैटबॉक्स में डॉ. शाहीन, परवेज के अलावा अन्य आतंकी भी शामिल थे. शाहीन howl कोडवर्ड के जरिए बातचीत की शुरुआत करती थी. परवेज़ पिछले एक साल से इंटीग्रल में नाईट ड्यूटी करता था. Wolf Pack नाम के एक वाट्सअप ग्रुप से कई नंबर जुड़े हुए थे. इस ग्रुप की एडमिन शाहीन ही थी. परवेज और आरिफ भी इस ग्रुप से जुड़ा हुआ था. 

इस नाम से बनाई थी शाहीन ने टीम

इसके साथ ही जांच एजेंसियों को इस ग्रुप से एक अहम जानकारी भी मिली है. जांच एजेंसियों के मुताबिक, डॉ. शाहीन ने इस ग्रुप में दो टीमें बनाई थी. उसने इनका नाम Aurora और luna रखा था. बता दें कि ये नाम मादा भेड़ियों के होते हैं. वॉल्फ आवर के दौरान ही शाहीन ग्रुप में शामिल आतंकियों को जरूरी संदेश भेजती थी. सभी संदेश कोड वर्ड में दिए जाते थे. आरिफ के अपने नंबर के आगे स्पाइरो नाम लिखा था. ग्रुप में शामिल नंबरों में नाम की जगह ग्रिफ़िथ, कुरनेलियुस शब्दो का इस्तेमाल किया जाता था. मैडम सर्जन उर्फ शाहीन ग्रुप की अल्फा थी.

घात लगाकर हमला करने की करती थी बात

इस ग्रुप में डॉ. शाहीन दूसरे आतंकियों से Wolf पैटर्न पर ही घात लगाकर हमला करने की बात कहती थी. ग्रुप में परवेज ने लोन वुल्फ अटैक की जानकारी भी मांगी थी. जांच एजेंसियों को परवेज़ के घर से छापेमारी के दौरान चापड़ मिला था. दिल्ली धमाके में मारा गया आतंकी डॉ. उमर नबी कथित तौर पर रामलीला मैदान के पास आसफ अली रोड की एक अवैध मस्जिद में रुका था. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस मस्जिद को तीन महीने में तोड़कर हटा दिया गया. 

शाहीन के पास मौजूद थे तीन पासपोर्ट

जांच एजेंसियों को दिल्ली धमाके में शामिल डॉक्टर शाहीन के पास तीन पासपोर्ट होने की भी जानकारी मिली है. इन्हीं पासपोर्ट के जरिए डॉ. शाहीन तीन बार पाकिस्तान गई थी. इन पासपोर्ट में से एक पासपोर्ट GSVM मेडिकल कॉलेज कानपुर के पते पर है. जबकि उसका दूसरा पासपोर्ट लखनऊ के पते पर है. वहीं तीसरा पासपोर्ट उसने फरीदाबाद के पते पर बनवाया रखा था. हैरानी की बात ये है कि इन तीन पासपोर्ट पर डॉक्टर शाहीन के अभिभावक के तौर पर अलग-अलग नाम दर्ज हैं. उसने अपने इन पासपोर्ट में एक में अपने पिता को तो दूसरे में पति को अपना अभिभावक बताया है. जबकि तीसरे में उसने अपने भाई को अभिभावक दिखाया है.

शाहीन ने सात बैंकों में खुलवा रखे थे खाते

यही नहीं दिल्ली धमाके की मास्टरमाइंड डॉ. शाही ने सात बैंकों में अपना खाता भी खुलवा रखे थे. जांच एजेंसियों को शाहीन के पास 7 बैंक खातों की जानकारी मिली है. इनमें से कुछ प्राइवेट बैंक में है तो कुछ खाते सरकारी बैंक में खुलवाए गए थे. जिनमें से तीन खाते कानपुर में तो 2-2 खाते दिल्ली और लखनऊ में खुलवाए गए थे.  जांच एजेंसियों को बैंक खातों की पड़ताल में 2014 में 9 लाख, 2015 में 6 लाख, 2016 में 11 लाख , 2017 में 19 लाख के बड़े ट्रांजेक्शन का पता चला है.

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