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smriti irani Photograph: (social media)
स्मृति ईरानी ने साल 1991 में दसवीं और 1993 में 12वीं परीक्षा के पास की थी या नहीं. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई को आरटीआई तहत यह जानकारी देने के निर्देश देने वाले आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया. यह फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि विवादित आदेश में सीआईसी का पूरा दृष्टिकोण पूरी तरह से गलत था. फैसला में कहा गया कि यह निष्कर्ष कि किसी शख्स विशेष की डिग्री अंक परिणाम से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक सूचना की प्रकृ ति की है. यह सर्वोच्च न्यायालय की ओर से केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी भारत के सर्वोच्च न्यायलय बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल केस में दिए गए निर्णय का प्रत्यक्ष रूप से उल्लंघन है.
इस बीच पीएम मोदी की डिग्री की बीए की डिग्री दिखाने की मांग वाली याचिका को भी दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस सीआईसी के आदेश को रद्द कर दिया। आपको बता दें कि साल 2016 में, केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने 1978 में बीए की पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड को जांचने की इजाजत दी थी। उस समय पीएम मोदी ने भी परीक्षा को पास किया था। दिल्ली विश्वविद्यालय ने सीआईसी के इस आदेश को चुनौती दी गई थी। इस पर जनवरी 2017 में पहली सुनवाई के दिन रोक लगाई थी।
आरटीआई अधिनियम के तहत सामने नहीं लाया जाएगा
सुनवाई के समय विश्वविद्यालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सीआईसी के आदेश को रद्द करन की आवश्यकता है। क्योंकि 'निजता का अधिकार' 'जानने के अधिकार' से ज़्यादा अहम है. हालांकि, विश्वविद्यालय ने कोर्ट को बताया कि वह प्रधानमंत्री मोदी के डिग्री रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने को तैयार है। मगर आरटीआई अधिनियम के तहत इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।