दिल्ली कार ब्लास्ट का पाकिस्तान कनेक्शन? जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका पर नजर

दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार बम विस्फोट की जांच अब पाकिस्तान से जुड़ी एक आतंकी साजिश की ओर मुड़ रही है. जांच एजेंसियों को शक है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का हाथ हो सकता है.

दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार बम विस्फोट की जांच अब पाकिस्तान से जुड़ी एक आतंकी साजिश की ओर मुड़ रही है. जांच एजेंसियों को शक है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का हाथ हो सकता है.

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Ravi Prashant
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Masood Azhar

मसूद अजहर Photograph: (X)

दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच अब पाकिस्तान से जुड़ी आतंकी साजिश की ओर बढ़ रही है. जांच एजेंसियों को शक है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का हाथ हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकी मॉड्यूल और जैश के बीच कड़ी की तलाश की जा रही है.

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पाकिस्तान से चला मास्टरमाइंड नेटवर्क

जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना 1999-2000 में मसूद अजहर ने की थी, जो IC-814 हाइजैक केस में रिहा हुआ था. यह संगठन पाकिस्तान के बहावलपुर से संचालित होता है और भारत पर कई बड़े हमले कर चुका है. 2001 का संसद हमला और 2019 का पुलवामा हमला इन्हीं में शामिल हैं.

भारतीय खुफिया एजेंसियों की कई जवाबी कार्रवाइयों के बावजूद, जिसमें मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर की मौत की भी जानकारी है, यह संगठन आज भी पाकिस्तान के “डीप स्टेट” के संरक्षण में सक्रिय है.

भारत में फैला नेटवर्क और स्थानीय मददगार

जैश का भारत में नेटवर्क बेहद बिखरा हुआ और गुप्त है. बीते साल दिसंबर में NIA ने जम्मू-कश्मीर समेत चार राज्यों में 19 ठिकानों पर छापे मारे थे, जिसमें आतंकी प्रचार सामग्री और डिजिटल सबूत मिले थे. इस संगठन के ऑपरेशन को फील्ड कमांडर लीड करते हैं, जो अक्सर पाकिस्तानी मूल के होते हैं. जुलाई 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक शीर्ष जैश कमांडर को एनकाउंटर में ढेर किया था.

स्थानीय स्तर पर इनकी मदद OGW (Over Ground Workers) करते हैं, जो हथियार, धन और सूचना पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं. यही लोग हमले के दौरान सुरक्षा बलों को भ्रमित करने या दिशा भटकाने के लिए झूठे अलर्ट भी पैदा करते हैं.

लाल किला ब्लास्ट में डॉक्टर बने आतंकी

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इस धमाके के पीछे चार आतंकी थे. तीन पुरुष और एक महिला जो डॉक्टर की फर्जी पहचान के साथ भारत में घुसे थे. इनमें से तीन, आदिल अहमद राठर, मुझम्मिल शकील और शाहीना शाहिद, गिरफ्तार हो चुके हैं.

फरीदाबाद से बरामद हुए 3,000 किलो विस्फोटक

मुझम्मिल शकील को हरियाणा के फरीदाबाद से पकड़ा गया, जहां से पुलिस ने दो घरों में छापा मारकर करीब 3,000 किलो विस्फोटक बरामद किया, जिसमें 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट शामिल था. यही धमाका सामग्री दिल्ली के रेड फोर्ट ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई थी. सूत्रों के अनुसार, यह धमाका संभवत उसी गिरफ्तारी के बाद घबराहट में अंजाम दिया गया था.

महिला नेटवर्क की बड़ी भूमिका

चौथा आतंकी उमर मोहम्मद संभवत धमाके में मारा गया. जांच में सामने आया है कि कार में मौजूद बम को मैनुअली डिटोनेट किया गया था. इस पूरे मॉड्यूल में शाहीना शाहिद को जैश-ए-मोहम्मद के भारत स्थित महिला विंग “जमात-उल-मुमिनात” की प्रमुख माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस महिला शाखा को अगस्त 2025 में शुरू किया गया था ताकि “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद फिर से फंडिंग और भर्ती शुरू की जा सके.

इस विंग की कमान मसूद अज़हर की बहन सादिया अज़हर को सौंपी गई है, जबकि दूसरी बहन समीरा अज़हर के साथ मिलकर वह ऑनलाइन सेशन्स चला रही हैं, जिनमें 40-40 मिनट की क्लासेस के ज़रिए महिलाओं को कट्टरपंथी विचारधारा सिखाई जा रही है. जांच एजेंसियों का मानना है कि रेड फोर्ट ब्लास्ट, जैश की “रीबिल्डिंग स्ट्रेटेजी” का हिस्सा था, जिसके ज़रिए वह भारत में अपनी मौजूदगी दोबारा दिखाने की कोशिश कर रहा है.

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