Coronavirus: कोविड-19 ने एक बार फिर चिंता बढ़ाना शुरू कर दिया है. भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. निश्चित रूप से अब तक लोगों को पेनडेमिक का वह दौर भूला नहीं है. लॉकडाउन जैसे हालात और पीड़ा ने हर किसी के जहन में बुरी यादें छोड़ दी हैं. लेकिन एक बार फिर इस महामारी की आहट सुनाई दे रही है.
सिंगापुर में कोविड-19 के मामलों में एक बार फिर से उछाल देखा गया है। इस बार महामारी के पीछे LF.7 और NB.1.8 नामक दो नए वेरिएंट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन दोनों वेरिएंट्स की संयुक्त मौजूदगी सिंगापुर में सामने आ रहे कुल मामलों में लगभग दो-तिहाई का कारण बन रही है।
इन मामलों में वृद्धि ने एशिया के अन्य देशों को भी सतर्क कर दिया है। भारत में भी स्वास्थ्य विभाग और विशेषज्ञ स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। हालांकि, भारत वर्तमान में चिंता की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है, जब तक अस्पताल में भर्ती मरीजों या मौतों की संख्या में वृद्धि दर्ज नहीं होती।
ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट्स हैं LF.7 और NB.1.8
कोरोना के LF.7 और NB.1.8, ओमिक्रॉन वेरिएंट के सब-वेरिएंट्स हैं। ये वेरिएंट्स JN.1 से जुड़े हुए हैं, जो स्वयं Omicron BA.2.86 का हिस्सा है। यह स्पष्ट करता है कि वायरस अभी भी अपने जीनोमिक स्वरूप में बदलाव कर रहा है, जिससे वह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में सक्षम हो सकता है।
हालांकि, अभी तक किसी भी अध्ययन या आंकड़ों से यह प्रमाणित नहीं हुआ है कि ये नए सब-वेरिएंट्स पहले के ओमिक्रॉन वेरिएंट्स से अधिक गंभीर बीमारी पैदा करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी पहले यह कहा था कि JN.1 जैसे वेरिएंट्स में इम्यून सिस्टम से बचने की क्षमता हो सकती है, लेकिन उनकी गंभीरता को लेकर ठोस प्रमाण मौजूद नहीं हैं।
क्या है JN.1 वेरिएंट, कैसे पहचानें इसके लक्षण
JN.1 वेरिएंट को ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही सबवेरिएंट बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस वेरिएंट में इम्यून सिस्टम से बचने की ताकत होती है. हालांकि इसके ओमिक्रॉन से ज्यादा पॉवरफुल फिलहाल नहीं कहा जा सकता है. वहीं इसके लक्षणों की बात की जाए तो...
- हल्के से मध्यम बुखार
- गले में खराश
- नाक हा लगातार बहना
- सूखी खांसी
- थकान
- सिरदर्द
- स्मेल यानी सुगंध या दुर्गंध का पता न चलना
- स्वाद न आना आदि.
भारत में स्थिति पर निगरानी
भारत में फिलहाल कोविड के मामलों में कोई बड़ी उछाल नहीं देखा गया है, लेकिन सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां जीनोमिक निगरानी को लगातार तेज कर रही हैं। हवाई अड्डों पर यात्रियों की स्क्रीनिंग, टेस्टिंग और कोविड प्रोटोकॉल की फिर से समीक्षा की जा रही है।
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