केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), वित्तीय सेवा विभाग (DFS) और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के मुख्य सतर्कता अधिकारियों (CVOs) के बीच मंगलवार को बेंगलुरु में एक महत्वपूर्ण समन्वय बैठक आयोजित की गई. बैठक का उद्देश्य बैंक धोखाधड़ी के मामलों की जांच में तेजी लाना और प्रक्रियागत अड़चनों को दूर करना था.
यह बैठक 30 जनवरी 2025 को मुंबई में हुई उच्च स्तरीय बैठक की अनुवर्ती कड़ी थी, जिसमें अंतर-विभागीय सहयोग बढ़ाने और लंबित मामलों के निपटारे पर बल दिया गया था.
दिनभर चली इस बैठक में सीबीआई की बैंकिंग और प्रतिभूति धोखाधड़ी जांच शाखा ने सार्वजनिक बैंकों के साथ मिलकर लंबित मामलों की समीक्षा की. सीबीआई और पीएसबी अधिकारियों ने केस-वार चर्चा करते हुए जांच में आ रही बाधाओं और उनके संभावित समाधान साझा किए.
बैठक में यह माना गया कि दस्तावेजों की समय पर उपलब्धता जांच की गति को काफी प्रभावित करती है. ऐसे में सीबीआई और बैंकों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है. इसके अलावा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए और 19 के अंतर्गत आवश्यक स्वीकृति प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया.
सीबीआई और डीएफएस के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी प्रस्तुतियों में मौजूदा ढांचे में सुधार के उपाय सुझाए और पारदर्शी व त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए परस्पर सहयोग की रणनीति पर चर्चा की.
बैठक के अंत में इस बात पर आम सहमति बनी कि जांच प्रक्रियाओं में संस्थागत सहयोग और सतत समन्वय ही धोखाधड़ी के मामलों में न्यायोचित और शीघ्र निष्कर्ष तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग है.